क्या है “Trump Wall”? जिससे कूदकर गुजरात के शख्स की हुई मौत, कस्टडी में रखे गए 3 साल का बेटा और पत्नी, जानें टूटे सपने की पूरी कहानी
आंखों में बड़े सपने लिए किसी देश में गलत तरीके से घुसने की कोशिश में एक और भारतीय परिवार बिखर गया है। यहां 30 फीट ऊंची “ट्रंप वॉल” को लांघते समय गुजरात के गांधीनगर के रहने वाले एक 32 साल के शख्स की मौत हो गई। घटना के वक्त उसका 3 साल का बेटा और पत्नी भी साथ थे। ट्रंप वॉल, मेक्सिको-अमेरिकी दीवार को कहा जाता है। इसी दीवार को लांघकर अकसर लोग गैर कानूनी तरीके से मेक्सिको के रास्ते अमेरिका में घुसने की कोशिश करते हैं। फिलहाल मृतक की पत्नी और बच्चे को एक दूसरे से अलग रखा गया है। वह अमेरिका की अलग-अलग एजेंसियों की कस्टडी में हैं।
मृतक की पहचान बृज कुमार यादव के तौर पर हुई है। उनके बेटे को अमेरिकी स्वास्थ्य और मानव सेवा विभाग (एचएचएस) की कस्टडी में रखा गया है, जबकि पत्नी अमेरिकी सीमा शुल्क और सीमा सुरक्षा (यूएस सीबीपी) की निगरानी में है। ये घटना 14 दिसंबर की रात की बताई जा रही है। उस समय यादव परिवार अमेरिका के सैन डिएगो जाने के लिए मेक्सिको के तिजुआना से गैर कानूनी तरीके से सीमा लांघने की कोशिश कर रहा था। दीवार लांघते वक्त बृज कुमार यादव अपने बेटे के साथ मेक्सिको की तरफ तिजुआना में ही गिर गए, जबकि उनकी पत्नी पूजा अमेरिका में सैन डिएगो की तरफ जाकर गिरीं।
यूएस सीबीपी के एक अधिकारी के अनुसार, नाबालिग बच्चे की कस्टडी इमिग्रेशन एंड कस्टम्स इंफोर्समेंट को सौंप दी गई थी, जिसने प्रोटोकॉल के अनुसार, उसे अमेरिकी स्वास्थ्य और मानव सेवा विभाग के भीतर शरणार्थी पुनर्वास कार्यालय में स्थानांतरित कर दिया। पूजा घायल हो गई थीं, इसलिए उनका इलाज करने के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया, लेकिन यूएस सीबीपी उनकी निगरानी कर रहा है। इसके साथ ही उन्हें आव्रजन अदालत की सुनवाई में शामिल होना होगा। अधिकारियों को 14 दिसंबर की रात 1:30 बजे जानकारी मिली कि 20 लोग गैर कानूनी तरीके से दीवार लांघकर अमेरिका की तरफ दाखिल हुए हैं। इनमें पूजा भी शामिल थीं, जिन्हें चोट आई थी।
बृज कुमार की मौके पर ही मौत हुई
अधिकारियों ने कहा कि बृज कुमार अपने बेटे को पकड़े हुए थे। दीवार से गिरने के बाद उनकी मौके पर ही मौत हो गई। दीवार के दोनों तरफ घायलों के इलाज के लिए उन्हें अस्पताल ले जाया गया। पूजा बैरियर के उत्तर की तरफ गिरी थीं और उनके पति दक्षिण की तरफ। बृज कुमार के पास उनका बेटा लेटा हुआ था। जिसे यूएस सीबीपी ने कस्टडी में ले लिया। पूजा ने अपनी पहचान बता दी थी, इसलिए उन्हें रिहा कर दिया गया। अधिकारियों ने बताया कि अगर कोई शख्स अपनी पहचान बता देता है और उससे समुदाय को खतरा नहीं रहता, तो उसे रिहा कर दिया जाता है। लेकिन उसे आव्रजन अदालत की सुनवाई में शामिल होना पड़ता है।
बृज कुमार गांधी नगर के कलोल के रहने वाले थे। उन्होंने 11 नवंबर को अमेरिका जाने के लिए अपनी यात्रा शुरू की थी। घटना के बाद गांधी नगर पुलिस और सीआईडी ने मामले की जांच शुरू कर दी है। बृज कुमार के भाई विनोद का कहना है कि पूजा ने उन्हें घटना के बाद 17 दिसंबर को फोन किया था। यानी घटना के तीन दिन बाद। विनोद को लगा कि पूजा शायद दबाव में थीं, इसलिए उन्होंने केवल इतना ही बताया कि बृज कुमार की कार्डियक अरेस्ट से मौत हो गई है। विनोद यादव ने बताया, “पूजा ने हमें बताया कि बृज कुमार यादव की कार्डियक अरेस्ट से मौत हुई है और वह खुद अस्पताल में है। मुझे ऐसा लगा कि वह मुझसे बात करते समय दबाव में थी। तो हमने यहां पुलिस को सूचित नहीं किया। बाद में हमें मीडिया रिपोर्ट्स से पता चला कि मेरे भाई की अमेरिका-मेक्सिको सीमा पर दीवार लांघते समय मौत हो गई है।”
दीवार को क्यों क्यों कहते हैं ट्रंप वॉल
ट्रप वॉल को “द वॉल” भी कहा जाता है। इसे अमेरिका में आप्रवासन कानूनों को लागू करने में मदद करने के लिए तैयार किया गया था। 1980 के दशक के दौरान इसे शुरू किया गया। मेक्सिको-अमेरिका बैरियर का विस्तार ही द वॉल के नाम से जाना जाता है। पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से पहले, राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन, जॉर्ज एच. डब्ल्यू बुश, क्लिंटन, जॉर्ज डब्ल्यू बुश और ओबामा प्रशासन के दौरान सीमा सुरक्षा और सीमा दीवार कानून पारित किया गया था। फिर ट्रंप ने अपने चुनावी अभियान में इस दीवार को ही प्रमुख मुद्दा बना दिया। इसके पीछे का कारण ये था कि उनके अधिकतर समर्थक अमेरिका के आव्रजन कानूनों का समर्थन करते हैं। यह मुद्दा साल 2016 के राष्ट्रपति चुनाव में ट्रंप के चुनावी अभियान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा। अपने 2016 के राष्ट्रपति अभियान के दौरान ट्रंप ने सीमा पर दीवार के निर्माण का आह्वान किया था।
ट्रंप ने तब कहा था कि अगर वह राष्ट्रपति बनते हैं, तो “दीवार का निर्माण कराएंगे और मेक्सिको इसके लिए भुगतान करेगा”। तत्कालीन-मेक्सिकन राष्ट्रपति एनरिक पेना नीटो ने ट्रंप के इस दावे को खारिज कर दिया था कि मेक्सिको दीवार के लिए भुगतान करेगा। हालांकि दीवार के निर्माण में अमेरिका का पैसा ही खर्च हुआ है। जनवरी 2017 में ट्रंप ने कार्यकारी आदेश 13767 पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत औपचारिक रूप से अमेरिकी सरकार को मौजूदा फेडरल फंडिंगा का इस्तेमाल करके अमेरिका-मेक्सिको सीमा पर दीवार निर्माण शुरू करने का निर्देश दिया गया। फंडिंग के चक्कर में राजनीतिक दिक्कतें भी सामने आईं, जिसके चलते 5 दिनों के लिए सरकार बंद हो गई थी और राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा की गई। हालांकि दीवार का निर्माण 2018 में शुरू हो गया था।
अमेरिका ने 455 मील (732 किमी), 49 मील (79 किमी) के साथ नए बैरियर बनाए, जहां पहले कोई बैरियर नहीं थे। बाकी जगह 30 फीट लंबी (9.1 मीटर) स्टील की दीवार बनाई गईं, जहां पहले बैरियर के तौर पर बाड़ या वाहन इस्तेमाल होते थे। इसके अलावा टेक्सास के एल पासो के पास निजी संपत्ति पर पांच मील (8 किमी) की नई दीवार बनाई गई। इसे बनाने का काम वी बिल्ड द वॉल नामक एक निजी संगठन ने किया था। अगस्त 2020 तक इस संगठन ने जो अधिकतर हिस्सा निर्मित किया था, वह कटाव के कारण ढहने की हालत में था। जिसके चलते न्यूयॉर्क के दक्षिणी जिले के कार्यवाहक अमेरिकी अटॉर्नी ने ट्रंप के पूर्व मुख्य रणनीतिकार स्टीव बैनन सहित चार लोगों पर आरोप लगाया कि उन्होंने फंड का इस्तेमाल निजी खर्चों के लिए किया है। इससे उन्होंने सैकड़ों हजारों डोनर्स को धोखा दिया है। मार्च 2022 में लीक हुए यूएस कस्टम्स एंड बॉर्डर प्रोटेक्शन के एक अप्रकाशित मेमो से पता चला है कि 2021 में ट्रंप के पद छोड़ने तक सीमा की दीवार को 3,200 से अधिक बार लांघा जा चुका है।
शुरुआत में 20 जनवरी, 2021 को कार्यभार संभालने वाले नए राष्ट्रपति जो बाइडेन ने राष्ट्रीय आपातकाल को खत्म कर दिया था और दीवार के निर्माण को रोक दिया, लेकिन होमलैंड सिक्योरिटी के अमेरिकी सचिव ने बाद में संकेत दिया था कि दीवार का निर्माण बाइडेन प्रशासन के तहत जारी रह सकता है। अप्रैल 2021 में, बाइडेन प्रशासन ने उन सभी सीमा दीवार परियोजनाओं को रद्द कर दिया, जिनका भुगतान अमेरिकी रक्षा विभाग के अकाउंट से किया जा रहा था। अक्टूबर 2021 तक, सीमा पर दीवार निर्माण से जुड़े कई कॉन्ट्रैक्ट रद्द कर दिए गए और कुछ मामलों में, सरकार द्वारा निजी संपत्ति के मालिकों से अधिग्रहित की गई जमीन उन्हें वापस कर दी गई।