23 November, 2024 (Saturday)

क्या है एन्क्रिप्शन टेक्नोलॉजी, जो आपके WhatsApp मैसेज को रखती है फुलप्रूफ सिक्योर

आज हम परदेस मे व्यापार कर रहे अपने दोस्त को झट से वीडियो कॉल कर सकते है। अब कोरोना मे जो कांता बाई घर न आ पाई तो क्या हुआ पेट पूजा के लिए ऑनलाइट फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म हैं। जो लॉकडाउन मे दोस्त से न मिल पाए तो सोशल मीडिया पर दुआ-सलाम हो जाती है। अरे आज कल तो संगीत के रॉक कॉन्सर्ट भी ऑनलाइन हो रहे है। और, तो और बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई हो रही है। बस मोबाइल या लैपटॉप के साथ टेलिकॉम कंपनियों जैसे Jio का एक चकाचक डाटा प्लान चाहिए। आज से  20 साल पहले इन चीजों की उम्मीद भी नही की जा सकती थी। लेकिन टेक्नोलॉजी ने इसे आसान बना दिया है। लेकिन टेक्नोलॉजी अपने साथ कई सारे खतरे लेकर आती है। कभी ऑनलाइन क्लास को हैक करके डिस्टर्ब किया जा सकता है साथ ही कोई हमारी निजी जानकारी भी चुरा सकता है। इन जैसे सभी खतरों से बचने के लिए वैज्ञानिकों ने एन्क्रिप्शन  टेक्नोलॉजी को विकसित किया है।

कोई भी नही पढ़ सकता है आपके मैसेज 

आम शब्दों मे समझाया जाएं, तो एन्क्रिप्शन टेक्नोलॉजी किसी भी डेटा को एक कोड में कन्वर्ट कर देती है, जिसका कोई अर्थ नही होता है। इस कोड को आप एक चाभी समझ ले।  जिसके पास ये चाभी होती है। केवल वही उन शब्दों का सही मतलब निकाल सकता है। अब आपने ध्यान दिया होगा कि आपके WhatsApp पर लिखा रहता है कि यह चैट एन्ड टू एन्ड एन्क्रिप्टेड है। इसका मतलब यह है कि इस चैट के जो दो छोर है। यानी आप और आपके मित्र जिससे आप कम्युनिकेट कर रहे है। उनके आलावा आपका यह सन्देश पढ़ने की चाभी किसी के पास नहीं है। खुद WhatsApp के पास भी नही। ऐसे में कोई भी आपकी निजी बातें नही पढ़ सकता। यह चाभी आपके फ़ोन मे ही जमा रहती है। और आपके पढ़ने  से तुरंत पहले उस सन्देश को उसके प्रारंभिक रूप मे वापस बदल देती है।

कई जगह मौजूद है हमारी पर्सनल डिटेल 

अगर आज आपको जीन्स लेनी हो, तो अपने घर के पते के साथ क्रेडिट कार्ड के पासवर्ड डिटेल डालनी होती है। वही ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान स्कूल बहुत सारी निजी जानकारियां अपने पास सुरक्षित रखता है। जैसे कि नाम, पता क्लास और फ़ोन नंबर के जारिए ई-मेल और फोटो भी। अब हम लोग नेट बैंकिंग भी तो चलाते है। सारे अस्पताल भी तो हमारा पूरा लेखा-जोखा  कंप्यूटर मे संभाल के रखते है। और ई-मेल मे तो हमारे ना जाने कितने कागज़ात रखे होते हैं. यह सारा डेटा अगर कोई चुरा ले तो, आपका बैंक साफ़ हो जाएगा। निजता का महत्त्व हमें तब तक महसूस नही होता जब तुक हम पर या किसी हमारे किसी के साथ डिजिटल चोरी नही होती है।

सुप्रीम ने निजता को करार दिया मौलिक अधिकार 

इंटरनेट पर कभी भी कोई भी जानकारी देते वक़्त अपनी निजता बनाए रखना अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। निजता बनाए रखना इतना ज़रूरी है कि यकीन मानिए सुप्रीम कोर्ट ने निजता को एक मौलिक अधिकार करार दिया है। निजता बनाए रखने कि ज़िम्मेदारी केवल सरकार या कंपनियों कि नही बल्कि हमारी भी है। हमें भी सतर्क रहने कि ज़रूरत है। सरकार ने डेटा प्रोटेक्शन बिलए 2019  की धारा 24 के तहत कंपनियों को एन्क्रिप्शन टेक्नोलॉजी से हमारी निजता को सुरक्षित रखने के लिए प्रोत्साहित किया है। जिस गति से टेक्नोलॉजी कि धुन मे हम लोग लीन हो रहे है। आवश्यक है कि हम उस टेक्नोलॉजी को अच्छे से समझे। वरना गंभीर नुकसान उठाना पड़ सकता है।

टेक्नोलॉजी कर सकती है मदद 

टेक्नोलॉजी को अपनाना गलत नही है। जिस भी समाज को प्रगति करनी है, उसे टेक्नोलॉजी को सरहाना ही पड़ेगा। लेकिन उतना ही आवश्यक है कि हम टेक्नोलॉजी के खतरों के बारे मे जागरूक रहे। एन्क्रिप्शन टेक्नोलॉजी इसमें हमारी सहायता कर सकती है। एन्क्रिप्शन इस कहानी का एक अहम पहल है। किन्तु इसके अतरिक्त भी हमें सावधान रहने कि ज़रूरत है। अब अगर हम अपना फ़ोन बिना किसी पासवर्ड के कहीं छोड़ के आ जायेंगे तो एन्क्रिप्शन होने ना होने से कोई फायदा नही। आज गवर्नमेंट और कंपनियां चाहे हम आधार डेटा कि बात करे या वित्तीय और मेडिकल डाटा किए हमारे सभी डाटा को एन्क्रिप्शन टेक्नोलॉजी से सुरक्षित रखने का प्रयत्न कर रही है। ऐसे में एन्क्रिप्शन टेक्नोलॉजी वाले ऐप या वेबसाइट का इस्तेमाल करना बेहतर होता है।

नोट-यह लेख प्रणव भास्कर तिवारी ने लिखा है, जो दा डायलॉग मे एन्क्रिप्शन टेक्नोलॉजी और ऑनलाइन सुरक्षा प्रोग्राम’ के प्रबन्धक है। प्रणव को एन्क्रिप्शन टेक्नोलॉजी और ऑनलाइन सुरक्षा से संबंधित मुद्दों पर प्रमुख पत्रिकाओं, समाचार पत्रों में प्रकाशन में लिखते रहते हैं।

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