क्या तलाक का आधार हो सकता है जीवनसाथी का बीमारी को नहीं मानना, सुप्रीम कोर्ट करेगा विचार
जीवनसाथी का अपनी बीमारी को स्वीकार नहीं करने और इलाज कराने से इन्कार करने को क्या क्रूरता माना जा सकता है और क्या यह तलाक का आधार हो सकता है, इस प्रश्न पर सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को विचार करने के लिए तैयार हो गया।
जस्टिस विनीत सरन और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की पीठ ने इस मामले में नोटिस जारी किया और केरल हाई कोर्ट के तीन सितंबर, 2021 के आदेश पर रोक लगा दी। हाई कोर्ट ने इसे क्रूरता मानते हुए दंपती को तलाक प्रदान कर दिया था। पत्नी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस का जवाब देने के लिए छह हफ्ते का समय दिया है। केरल हाई कोर्ट ने भी पत्नी की याचिका पर उक्त आदेश दिया था, उसने याचिका में तलाक प्रदान करने के पारिवारिक अदालत के फैसले को चुनौती दी थी।
पति ने आरोप लगाया है कि उसकी पत्नी पैरानोइड सिजोफ्रेनिया से पीड़ित है, लेकिन वह इसे मानने और इलाज कराने से इन्कार करती है। जबकि पेशे से नर्स पत्नी का कहना है कि वह बिल्कुल ठीक है और अपने दोनों बच्चों की देखभाल करती है। उसके अपने पड़ोसियों से भी बहुत अच्छे संबंध हैं।