24 November, 2024 (Sunday)

विजय माल्या पर फिर कसेगा शिकंजा, सुप्रीम कोर्ट ने की यह सख्‍त टिप्‍पणी

भगोड़ा घोषित Vijay Mallya को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्‍त टिप्‍पणी की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि उसने काफी लंबा इंतजार किया है और विजय माल्या को अदालत की अवमानना के मामले में सजा देने की प्रक्रिया, जिसमें उन्हें जुलाई 2017 में दोषी ठहराया गया था, खत्म होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने मामले को जनवरी में निपटाने के लिए तय किया है, जहां वह भगोड़े व्यवसायी माल्या के लिए सजा तय करेगी।

केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत के विचार के लिए विदेश मंत्रालय द्वारा एक नोट प्रस्तुत किया। जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने नोट का हवाला देते हुए कहा कि माल्या की प्रत्यर्पण कार्यवाही अंतिम रूप ले चुकी है, क्योंकि उसने ब्रिटेन में अपील के सभी रास्ते समाप्त कर दिए हैं। हालांकि, कुछ गोपनीय कार्यवाही चल रही है और ब्रिटेन ने इन कार्यवाही का खुलासा नहीं किया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि इस कार्यवाही के कारण माल्या की मौजूदगी उसके निर्देशों के बावजूद सुरक्षित नहीं की जा सकी है।

पीठ ने कहा कि अदालत की अवमानना के मामले में माल्या को सजा सुनाने की प्रक्रिया खत्म होनी चाहिए, क्योंकि शीर्ष अदालत ने काफी समय से इंतजार किया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि यह माल्या पर निर्भर है कि वह व्यक्तिगत रूप से पेश हो या अपने वकील के जरिए दलीलें पेश करें, लेकिन मामले को सामने लाया जाना चाहिए, क्योंकि इसे 2017 से स्थगित किया जा रहा है, जब उन्हें अवमानना का दोषी पाया गया था।

यह कहते हुए कि बीते 4 साल से सजा लंबित है। पीठ ने कहा कि इस अदालत द्वारा अपने 2017 के आदेश में जारी निर्देशों के संदर्भ में मामला अब 18 जनवरी 2022 को सूचीबद्ध किया जाएगा। 14 जुलाई, 2017 को दिए गए एक फैसले के अनुसार, माल्या को बार-बार निर्देश जारी करने के बावजूद बैंकों को 9,000 करोड़ रुपये का बकाया भुगतान नहीं करने के लिए अवमानना का दोषी पाया गया था। इसके अतिरिक्त, उस पर अपनी संपत्ति का खुलासा नहीं करने और वसूली की कार्यवाही के उद्देश्य को विफल करने के लिए गुप्त रूप से संपत्ति के निपटान का प्रयास करने का भी आरोप लगाया गया है।

बीते साल 6 अक्टूबर को, गृह मंत्रालय (एमएचए) ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि ब्रिटेन के गृह कार्यालय ने सूचित किया है कि एक और कानूनी मुद्दा है, जिसे विजय माल्या के प्रत्यर्पण से पहले हल करने की आवश्यकता है। हलफनामे में कहा गया था कि प्रत्यर्पण के खिलाफ अपील पर राहत नहीं मिलने के बाद विजय माल्या का भारत के सामने आत्मसमर्पण, सैद्धांतिक रूप से 28 दिनों के भीतर पूरा हो जाना चाहिए था। हालांकि, ब्रिटेन के गृह कार्यालय ने सूचित किया कि माल्या के प्रत्यर्पण से पहले और भी कानूनी मुद्दे हैं, जिन्हें हल करने की आवश्यकता है।

शीर्ष अदालत ने 2 नवंबर को केंद्र से भगोड़े व्यवसायी के प्रत्यर्पण पर 6 हफ्ते सप्ताह के भीतर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था। 18 जनवरी को, केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया था कि विजय माल्या के प्रत्यर्पण को उच्चतम राजनीतिक स्तर पर उठाया गया है, लेकिन ब्रिटेन सरकार ने उनके प्रत्यर्पण में देरी करने वाली गोपनीय कार्यवाही का विवरण साझा करने से इनकार कर दिया है।

Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *