वाराणसी : कुपोषण की रोकथाम के लिए शुरू हुआ ‘सम्भव’ अभियान
वाराणसी : बाल विकास सेवा एवं पोषण विभाग की पहल पर जिले में कुपोषण को रोकने के लिए शुक्रवार से ‘संभव’ अभियान शुरू किया गया. यह अभियान अगले दो महीने यानी 30 सितंबर तक चलेगा. इस अभियान में शहर सहित सभी विकास खण्डों में पोषण एवं स्वास्थ्य से संबंधित विभिन्न जन जागरूकता गतिविधियां संचालित की जायेगी.
कुपोषण को रोकने के लिए व्यवहार परिवर्तन पर जोर दिया गया
यह जानकारी मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) अभिषेक गोयल ने शुक्रवार को दी.उन्होंने कहा कि पिछले साल संभव अभियान को एक नवाचार के रूप में शुरू किया गया था. विशेष रूप से सामुदायिक स्तर पर गंभीर रूप से कुपोषित (एसएएम) और कुपोषित (एमएएम) बच्चों की सही पहचान, उपचार, संदर्भ और प्रबंधन के साथ कुपोषण को रोकने के लिए व्यवहार परिवर्तन पर जोर दिया गया। इस अभियान की सफलता और परिणाम के आधार पर 01 जुलाई से 30 सितंबर तक ‘संभव’ अभियान फिर से शुरू किया गया है। उन्होंने बताया कि अभियान में अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ता कुपोषित, गंभीर रूप से कुपोषित, गंभीर रूप से कम वजन वाले और कम वजन के बच्चों का मार्किंग, रेफरल, उपचार और प्रबंधन के साथ-साथ कुपोषण की रोकथाम के लिए सामुदायिक गतिविधियों का आयोजन करेंगे.
साथ ही बच्चों के नाम गांव आशा, एएनएम, ग्राम प्रधान और संबंधित अभिसरण विभागों से साझा किए जाएंगे. इन बच्चों को स्वास्थ्य जांच के लिए ग्राम स्वास्थ्य, स्वच्छता और पोषण दिवस (वीएचएसएनडी) पर लाया जाएगा। जो बच्चे गंभीर हैं उन्हें पोषण पुनर्वास केंद्र या ब्लॉक चिकित्सा इकाई में भेजा जाएगा। जिला कार्यक्रम अधिकारी डीके सिंह ने बताया कि इस अभियान को तीन मुख्य मासिक थीम और साप्ताहिक थीम में बांटा गया है. जुलाई को ब्रेस्टफीडिंग प्रमोशन मंथ के रूप में मनाया जाएगा, जिसके तहत हर हफ्ते स्तनपान से संबंधित जन जागरूकता गतिविधियां संचालित की जाएंगी।
अपर डाइट मंथ के रूप में मनाया जाएगा
प्रत्येक सप्ताह ऊपरी और अर्ध-ठोस आहार के बारे में जागरूकता के साथ अगस्त को अपर डाइट मंथ के रूप में मनाया जाएगा। अगस्त में ही पोषण चौपाल का आयोजन किया जाएगा। इसके साथ ही सितंबर को पोषण माह के रूप में मनाया जाएगा, जिसमें हर सप्ताह पोषण, स्वास्थ्य, स्वच्छता और शिक्षा से संबंधित गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा। सुपोषण दिवस पर होगा पोषण उत्सव एवं पोषण पंचायत का आयोजन अभियान की मासिक थीम पर विषय विशेषज्ञों द्वारा आवश्यक परामर्श के लिए ‘पोषण पाठशाला’ भी आयोजित की जाएगी। आंगनबाडी कार्यकर्ता एवं सहायिका मासिक थीम के आधार पर घर जाकर समाज को जागरूक करेंगी।