‘यूपी के नए कानून के कारण निरस्त हुए सीएए प्रदर्शनकारियों को जारी पुराने नोटिस’
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को कहा कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) विरोधी आंदोलन के दौरान सार्वजनिक संपत्तियों को हुए नुकसान की क्षतिपूर्ति के लिए उत्तर प्रदेश के जिला प्रशासनों द्वारा कथित प्रदर्शनकारियों को पूर्व में भेजे गए नोटिस निरस्त हो गए हैं क्योंकि प्रदेश सरकार ने नया कानून बना लिया है।
नया कानून पारित- सरकारी व निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर कारावास व जुर्माना
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने तब मामले की सुनवाई 22 नवंबर तक स्थगित कर दी जब याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि वह उत्तर प्रदेश के जवाब पर प्रत्युत्तर हलफनामा दाखिल करेंगे। पीठ ने कहा, ‘राज्य में नया कानून लागू हो गया है इसलिए पूर्व में जारी नोटिस निरस्त हो गए हैं।’ राज्य सरकार ने इस साल की शुरुआत में ‘द उत्तर प्रदेश रिकवरी आफ डैमेजेस टू पब्लिक एंड प्राइवेट प्रापर्टी बिल, 2021’ नाम से नया कानून पारित किया था। इसके तहत सरकारी एवं निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के दोषी पाए गए प्रदर्शनकारियों के लिए कारावास और एक लाख रुपये तक जुर्माने का प्रविधान है।
प्रदर्शनकारियों को भेजे गए नोटिस को रद करने की मांग
नौ जुलाई को राज्य सरकार ने शीर्ष अदालत को बताया था कि नए कानून के तहत ट्रिब्यूनल्स का गठन किया जा चुका है और आवश्यक नियम बनाए जा चुके हैं। शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार से कहा था कि कथित प्रदर्शनकारियों को पूर्व में भेजे गए नोटिसों पर कार्रवाई न करे, लेकिन साथ ही कहा था कि सरकार कानून के मुताबिक कार्रवाई और नए नियमों का अनुपालन कर सकती है। शीर्ष अदालत परवेज आरिफ टीटू द्वारा दाखिल याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें प्रदर्शनकारियों को भेजे गए नोटिस रद करने की मांग की गई है।
कानून का मकसद
नागरिकता संशोधन कानून का उद्देश्य बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान के छह अल्पसंख्यक समुदायों हिंदू, बौद्ध, जैन, पारसी, ईसाई और सिख पंथों से संबंध रखने वाले लोगों को भारतीय नागरिकता देना है। इस विधेयक के पारित होने के बाद देश के कई हिस्सों में प्रदर्शन हुए थे।