यूपी चुनाव 2022: पश्चिम व ब्रज क्षेत्र में सपा-रालोद गठबंधन का गणित बिगाड़ती बसपा, समझिये मायावती का समीकरण
उत्तर प्रदेश में 18वीं विधानसभा के लिए हो रहे चुनाव के दो चरणों की नामांकन प्रक्रिया पूरी होने के साथ ही सभी सीटों पर जिस तरह की तस्वीर उभर कर सामने आ रही है, उससे सपा-रालोद गठबंधन की गणित को बसपा बिगाड़ती दिख रही है। इतना ही नहीं पश्चिमी उत्तर प्रदेश व बृज क्षेत्र के चुनाव वाली इन सीटों पर कांग्रेस और एआइएमआइएम (आल इंडिया मजलिस ए इत्तिहापद उल मुस्लिमीन) के मुस्लिम प्रत्याशी भी गठबंधन का कुछ खेल खराब कर सकते हैं। मुस्लिम उम्मीदवारों से बसपा या कांग्रेस को लाभ कम, भाजपा का फायदा होता जरूर दिख रहा है।
सोमवार को दूसरे चरण के नामांकन की प्रक्रिया पूरी होने के साथ ही पहले-दूसरे चरण की कुल 113 विधानसभा सीटों पर प्रत्याशियों की तस्वीर भी साफ हो गई है। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में 113 में से सर्वाधिक 91 सीटों पर भाजपा ने परचम लहराया था। तब कांग्रेस के साथ गठबंधन कर चुनाव मैदान में उतरी सपा को यहां से 17 सीटों पर जहां सफलता मिली थी। कांग्रेस की झोली में सिर्फ दो सीटें आईं थीं। बसपा भी दो और रालोद सिर्फ एक सीट पर सिमट कर रह गई थी। पांच वर्ष बाद अब हो रहे चुनाव में कई तरह की परिस्थितियां बदली हैं। अबकी सपा जहां जाट बहुल इस क्षेत्र में ज्यादा प्रभाव रखने वाले रालोद के साथ गठबंधन कर चुनाव मैदान में है वहीं कांग्रेस भी अकेले ही सभी सीटों पर ताल ठोंक रही है। मुस्लिम बहुल पश्चिमी उत्तर प्रदेश की प्रमुख सीटों पर एआइएमआइएम ने भी अबकी प्रत्याशी उतारे हैं।
पिछले चुनाव में ध्रुवीकरण से लगे झटके और बदली परिस्थिति को भांपते हुए सपा अबकी अपनी रणनीति बदलकर मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में भी कम मुस्लिम प्रत्याशी उतार रही है। रालोद गठबंधन संग सपा ने जहां दोनों चरणों की 113 सीटों में से 32 पर ही मुस्लिम प्रत्याशी खड़े किए हैं वहीं बसपा ने अंतिम समय तक प्रत्याशी बदलते हुए 39 मुस्लिम प्रत्याशी उतारे हैं। कांग्रेस ने भी 28 मुस्लिम उम्मीदवारों पर दांव तो लगाया है लेकिन निचले स्तर तक मजबूत संगठन न होने से कांग्रेस को इसका कोई खास फायदा होता दिख नहीं रहा है। प्रदेश भर में सिर्फ 100 प्रत्याशी उतारने की बात कहने वाली एआइएमआइएम के भी मुस्लिम उम्मीदवारों से किसी तरह के चमत्कार की उम्मीद नहीं दिखती।
जानकारों का कहना है कि ध्रुवीकरण रोकने के लिए सपा-रालोद द्वारा मुस्लिम प्रत्याशी पर कम दांव लगाने का खामियाजा अंतत: गठबंधन को ही भुगतना पड़ सकता है। तर्क यह कि ऐसी सीटों पर बसपा ने मुस्लिम प्रत्याशी उतारकर गठबंधन का गणित बिगाड़ने का काम किया है। मसलन, बुढ़ाना, लोनी, मुरादनगर, शिकारपुर, चरथावल, आगरा उत्तर, मीरापुर, छपरौली, नकुड़, गंगोह, बढ़ापुर, चांदपुर, नूरपुर, नौगावां सादात, असमोली, गुन्नौर, नवाबगंज, सहसवान, शेखूपुर और तिलहर जैसी सीटों पर गठबंधन के सामने मुस्लिम प्रत्याशी उतारने से मुस्लिम समाज के ज्यादा वोट बसपा को ही मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। दलितों में तकरीबन 55 प्रतिशत जाटव वोट का भी बड़ा हिस्सा मिलने से बसपा के इन सीटों पर फायदे में रहने का अनुमान लगाया जा रहा है।
मुस्लिम मतों का इन सीटों पर होगा ज्यादा बिखराव : उन सीटों पर भी गठबंधन को कम फायदा होता दिख रहा है जहां पर सपा ने मुस्लिम प्रत्याशी तो उतारे हैं लेकिन उसके साथ ही बसपा, अपना दल (एस) व कांग्रेस आदि के भी मुस्लिम उम्मीदवार हैं। ऐसी सीटों पर मुस्लिम मतों के बिखराव की संभावना जताई जा रही है। बेहट, थानाभवन, सिवालखास, मेरठ दक्षिण, धौलाना, बुलंदशहर, कोल, अलीगढ़ शहर, नजीबाबाद, धामपुर, कांठ, ठाकुरद्वारा, मुरादाबाद नगर व ग्रामीण, कुंदरकी, स्वार, चमरव्वा, रामपुर, अमरोहा, संभल व मीरगंज आदि ऐसी ही सीटें मानी जा रही हैं। माना जा रहा है कि इन सीटों पर मुस्लिम मतों के बिखराव का सीधा फायदा भाजपा को हो सकता है।
गैर मुस्लिम प्रत्याशियों से गठबंधन को फायदा : पुरकाजी, मुजफ्फरनगर सदर, खतौली, हस्तिनापुर, मेरठ कैंट, बड़ौत, साहिबाबाद, गाजियाबाद शहर, मोदीनगर, हापुड़, गढ़ मुक्तेश्वर, नोएडा, दादरी, जेवर, अनूपशहर, डिबाई, खुर्जा, खैर, बरौली, अतरौली, छर्रा, इगलास, छाता, मांट, गोवर्धन, मथुरा, बलदेव, एत्मादपुर, आगरा कैंट, आगरा दक्षिण, आगरा ग्रामीण, फतेहपुर सीकरी, खेरागढ़, फतेहाबाद, बाह, सहारनपुर नगर व देहात, रामपुर मनिहारन, नगीना, नहटौर, बिजनौर, बिलासपुर, मिलक, धनौरा, चंदौसी, बिथरी चैनपुर, फरीदपुर, बरेली, आंवला, बिसौली, बिल्सी, कटरा, जलालाबाद व पुवायां जैसी सीटों पर प्रमुख दलों द्वारा ज्यादातर गैर मुस्लिम प्रत्याशी उतारे जाने से इन सीटों के मुस्लिम मत, एक मुश्त गठबंधन को मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। चूंकि इनमें से कुछ ही सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोट निर्णायक साबित हो सकते हैं इसलिए गठबंधन को उन सीटों पर ही सीधा फायदा मिल सकता है।
गठबंधन या कांग्रेस ने ही इन सीटों पर उतारे मुस्लिम प्रत्याशी : कैराना, किठौर, बागपत, बिलारी, स्याना, बहेड़ी, बदायूं शहर व शाहजहापुंर आदि सीटों पर गठबंधन का ही मुस्लिम प्रत्याशी होने से सपा-रालोद को सीधा फायदा होता दिख रहा है। इसी तरह देवबंद, सरधना, हसनपुर, बरेली कैंट, दातागंज, ददरौल जैसी सीट पर सिर्फ कांग्रेस द्वारा मुस्लिम उम्मीदवार उतारे जाने से कुछ मुस्लिम वोट उसे मिल सकते हैं लेकिन गठबंधन को कोई बड़ा नुकसान होता नहीं माना जा रहा है। हालांकि, यहां भी मतों के बंटवारे में भाजपा को अपना फायदा दिख रहा है।
भाजपा ने नहीं सहयोगी अपना दल ने उतारा मुस्लिम प्रत्याशी : हिन्दुत्व के एजेंडे को लेकर आगे बढ़ने वाली भाजपा ने एक बार फिर किसी भी मुस्लिम प्रत्याशी पर तो दांव नहीं लगाया है लेकिन अबकी उसके सहयोगी अपना दल (एस) ने स्वार से मुस्लिम उम्मीदवार हैदर अली खान उर्फ हमजा मियां को टिकट जरूर दिया है। कुछ और भी मुस्लिम प्रत्याशी भी सहयोगी दल के मैदान में दिखाई दे सकते हैं।