UP: कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा, बीस लाख किसानों को सब्जियों के बीज मुफ्त देगी सरकार
प्रदेश के कृषि, कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि सरकार सब्जियों की खेती को बढ़ावा देने के लिए करीब 20 लाख किसानों को मुफ्त में सब्जियों के बीज देगी। किसानों की आय को दोगुना करने की दिशा में सरकार की ओर से यह कदम उठाया जाएगा। आय दोगुना करने की दिशा में बागवानी व सब्जियों-फलों की खेती बहुत कारगर हो सकती है।
कृषि मंत्री दीक्षा भवन में गोरखपुर विश्वविद्यालय एवं नियोजन विभाग उत्तर प्रदेश की ओर से आयोजित पूर्वांचल का सतत विकास : मुद्दे, रणनीति एवं भावी दिशा विषयक राष्ट्रीय वेबिनार व संगोष्ठी के दूसरे दिन आयोजित प्राथमिक सेक्टर के दूसरे तकनीकी सत्र को बतौर अध्यक्ष संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पूर्वांचल में बागवानी के क्षेत्र में असीम संभावनाएं हैं। अनाज जहां छह महीने में तैयार होता है, वहीं सब्जियां दो से तीन महीने में तैयार हो जाती हैं। जरूरत इस बात की है कि किसानों को ऐसी तकनीक की जानकारी दी जाए, जिससे वे बागवानी से अधिक से अधिक आय अर्जित कर सकें। कृषि मंत्री ने कहा कि तकनीकी जानकारी न होने के कारण ही किसान पिछड़े हैं।
प्रदेश में अंतरराष्ट्रीय आलू शोध केंद्र खोलने की दिशा में प्रयास किया जा रहा है। पिछले तीन साल में 300 करोड़ कृषि विज्ञान केंद्रों व अन्य कृषि संस्थाओं को दिए गए हैं। कृषि मंत्री ने सरकार की ओर से दी जा रही अन्य सुविधाओं की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि दशहरी आम यूपी की पहचान रहा है। उसकी क्वालिटी को और ठीक किया जा सकता है। अल्फांसो की टक्कर का गोरखपुर और बस्ती का गौरजीत आम की क्वालिटी को बढ़ाकर निर्यात के अवसर बढ़ाए जा सकते हैं। राज्य से 2000 कुंतल आम का निर्यात कोरोना काल में भी हुआ है। कृषि मंत्री ने कृषि संशोधन कानून को किसानों के हित में बताया।
अपर मुख्य सचिव देवेश चतुर्वेदी ने कहा, बाहर से लौटे लोगों को कृषि क्षेत्र में मिला काम
कृषि, कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान विभाग के अपर मुख्य सचिव देवेश चतुर्वेदी ने कहा कि लाक डाउन में जब सबकुछ बंद था तब भी कृषि क्षेत्र चालू रहा। बाहर से लौटे लोगों को कृषि क्षेत्र में काम मिला। उन्होंने स्वाट एनालिसिस कर कृषि क्षेत्र में नई नीति बनाए जाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि पूर्वांचल के कृषि क्षेत्र में उपलब्ध मानव संसाधन, पानी की प्रचुरता, बेहतर होती रोड कनेक्टिविटी हमारी ताकत है। बाढ़ जैसी दैवीय आपदा, छोटी जोत, कमजोर सहकारी समितियां व अपेक्षाकृत कमजोर मंडियां कमजोरी हैं। पर, खेती की विविधता, गौवंश आधारित कृषि, सरकार द्वारा किए गए बाजार सुधार, एफपीओ जैसी नीतियों से अवसर भी सृजित हो रहा है। कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ) की भूमिका की चर्चा करते हुए उन्होंने महराजगंज व देवरिया के दो एफपीओ द्वारा शकरकंदी व मशरूम उत्पादन के क्षेत्र में किए गए नवाचार व मार्केङ्क्षटग का उदाहरण भी पेश किया।
इस तकनीकी सत्र में उप महानिदेशक, आसीएआर डा. अरविंद कुमार सिंह ने पूर्वी उत्तर प्रदेश में बागवानी के विकास की संभावनाएं विषय पर आनलाइन वक्तव्य दिया। आइसीएआर वाराणसी के निदेशक डा. जगदीश सिंह भी सब्जियों की खेती पर अपनी बात रखने के लिए आनलाइन जुड़े। आचार्य नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय, अयोध्या के कुलपति डा. बिजेंद्र सिंह ने कृषि में रोजगार के अवसर बढ़ाने पर चर्चा की। सत्र की सह अध्यक्षता गोरखपुर विश्वविद्यालय के प्रो रविकांत ने की।