19 April, 2025 (Saturday)

यूक्रेन मामले पर SC में केंद्र- मेडिकल एग्जाम पास नहीं करने पर विदेश गए छात्र

यूक्रेन युद्ध की वजह से भारत वापस लौटे छात्रों को भारत में पढ़ाई पूरी करने की इजाजत देने की मांग की गई है. इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका भी दायर की गई है. Supreme Court ने मामले में केंद्र सरकार से पॉलिसी से जुड़े मामले में अपना पक्ष रखने को कहा है. केंद्र सरकार ने बताया कि जुलाई 2022 के बाद ऐसे छात्रों को असाधारण छूट नहीं दी जा सकती है. सुप्रीम कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई शुक्रवार को होगी. रूस ने यूक्रेन पर 24 फरवरी को हमला किया था. इसके बाद यूक्रेन में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों को वापस भारत लौटना पड़ा.

याचिकाकर्ता की तरफ से वरिष्ठ वकील मेनिका गुरुस्वामी ने कहा कि यहां इतने जिला अस्पताल उपलब्ध हैं. क्या हम छात्रों के मेडिकल करियर को बचाने के लिए कुछ नहीं कर सकते हैं. यह एक ऐसा देश है जहां डॉक्टरों की कमी है. मानवीय आधार पर हमको इनकी मदद करनी चाहिए. इस पर सरकार की तरफ से पेश हुईं ASG ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि हम इन छात्रों की भारत मे शिक्षा प्रणाली में दखल दिए बिना मदद करना चाहते हैं.

सरकार के वकील ने कही ये बात

वकील ने कहा यह छात्र भारत में मेडिकल परीक्षा पास नहीं कर पाए थे. इस वजह से ये विदेश में पढ़ाई करने गए थे. ऐसे में इन्हें कैसे भारतीय मरीजों के इलाज की इजाजत दी जा सकती है. उन्होंने कहा कि ये सभी छात्र मिड सेमेस्टर के हैं. यूक्रेन से लौटने के बाद से ही छात्रों का भविष्य अधर में लटका हुआ है. ये छात्र अपने भविष्य को लेकर चिंतित नजर आ रहे हैं. छात्रों की तरफ से लगातार मांग की जा रही है कि उन्हें भारतीय मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन दिया जाए.

चीन से लौटे छात्रों ने भी मांगी पढ़ाई की इजाजत

वहीं, यूक्रेन ही नहीं चीन से वापस भारत भेजे गए मेडिकल छात्रों को भारत में पढ़ाई करने की इजाजत देने की भी मांग की गई है. चीन से वापस आए छात्रों के वकील ने कहा चीन ने वहां कोरोना के मामलों के बढ़ने के कारण मेडिकल की पढ़ाई कर रहे छात्रों को 7वें सेमेस्टर के बीच में वापस भारत भेज दिया था. अब यह तीन सेमेस्टर की पढ़ाई फिजिकल मोड में नहीं कर पा रहे हैं.

चीन से वापस आए छात्रों के वकील ने कहा कई राज्यों ने चीन से वापस आए छात्रों को अपने यहां रजिस्ट्रेशन की इजाजत दी है. लेकिन केरल और तमिलनाडु ने इसकी इजाजत नहीं दी है, क्योंकि उनके यहां क्लीनिकल ट्रेनिंग फिजिकल नहीं होती है. मद्रास हाईकोर्ट ने इनके रजिस्ट्रेशन की इजाजत दी हुई थी.

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