यूक्रेन संघर्ष के बीच क्या रूस जी-20 से होगा बाहर? अमेरिका ने लाबिंग शुरू की, क्या होगी भारत की रणनीति- एक्सपर्ट व्यू
रूस यूक्रेन जंग के बीच भारत की कूटनीतिक चुनौती और बढ़ेंगी। अमेरिका व पश्चिमी देश रूस को दुनिया से अलग-थलग करने के लिए भारत और अन्य मुल्कों पर दबाव बनाना शुरू कर दिए हैं। भारत रूस दोस्ती के समक्ष एक बड़ी चुनौती पेश हो सकती है। अमेरिका और पश्चिमी देशों की नजर जी-20 पर टिकी है। अमेरिका इस बात की पुरजोर कोशिश करेगा कि रूस को जी-20 से बाहर किया जाए। यह भारत के लिए बहुत दुविधा का विषय होगा, क्योंकि वर्ष 2023 में जी-20 की शिखर बैठक नई दिल्ली में होनी है। इसके पूर्व यह शिखर बैठक इंडोनेशिया में होगी। ऐसी स्थिति में अमेरिका व पश्चिमी देश भारत पर यह दबाव और तेज करेंगे कि रूस को समूह जी-20 से बाहर किया जाए। आखिर भारत इस कूटनीतिक चुनौती से कैसे निपटेगा। भारत के पास और क्या विकल्प हो सकते हैं।
1- प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि जी-20 शिखर सम्मेलन में भले ही अभी काफी दिन शेष है, लेकिन अमेरिका ने रूस की घेराबंदी शुरू कर दी है। अमेरिका के मित्र राष्ट्र और क्वाड देशों ने रणनीति के तहत इस दिशा में प्रयास करना शुरू कर दिया है। सोमवार को नई दिल्ली में आस्ट्रेलिया के उच्चायुक्त ने यह कहा है कि जी-20 बैठक में रूसी राष्ट्रपति पुतिन नहीं होने चाहिए। आस्ट्रेलियाई उच्चायुक्त की इस बात के गंभीर मायने हैं और इसे इसी कड़ी के रूप में देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अमेरिका के साथ जापान और भारत की टू-प्लस-टू में यह मुद्दा जरूर उठेगा। भारत पर रूस का साथ छोड़ेने का दबाव बनाया जाएगा।
2- भारत और अमेरिका के विदेश व रक्षा मंत्रियों के बीच टू-प्लस-टू वार्ता 11 अप्रैल, 2022 को वाशिंगटन में होंगी। इसके लिए विदेश मंत्री एस जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह अमेरिका जाएंगे। उसके तुरंत बाद दोनों के टोक्यो जाने की सूचना है। इस बैठक में रूस यूक्रेन जंग की चर्चा होनी तय है। अमेरिका रूस को घेरने के लिए कुछ भी कदम उठा सकता है। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में भारतीय विदेश नीति के समक्ष चुनौती और बढ़ेगी। अब यह भारत पर निर्भर है कि वह अपने राष्ट्रीय हितों को किस तरह से रखता है। निश्चित रूप से आने वाला समय भारतीय विदेश नीति की अग्निपरीक्षा का होगा।
3- प्रो पंत ने कहा कि रूसी विदेश मंत्री की नई दिल्ली यात्रा के बाद अमेरिका पर भारत की पैनी नजर है। खास बात यह है कि रूसी विदेश मंत्री की नई दिल्ली की यात्रा के दौरान उन्होंने भारत को यह आश्वस्त किया है कि चाहे ईंधन आपूर्ति का मामला हो या चीन सीमा विवाद या भारत की रक्षा जरूरत सभी मामलों में भारत के साथ खड़ा है। इस समय भारत की बड़ी चिंता देश में तेल की बढ़ती कीमतें एवं चीन सीमा विवाद है। यह मुद्दे भारत की आंतरिक राजनीति को भी प्रभावित कर रहे हैं। ऐसे में भारत अमेरिका को अपने राष्ट्रीय हितों से कैसे अवगत कराएगा। यह भारतीय कूटनीति की दक्षता पर निर्भर करेगा।
4- उन्होंने कहा कि हाल में दिल्ली पहुंचे रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव पर अमेरिका की नजरें टिकी थी। इस यात्रा के दौरान रूस ने भारत को यह विश्वास दिलाया कि किसी भी संकट में मास्को उसके साथ खड़ा है। रूसी विदेश मंत्री ने पहली बार भारत-चीन सीमा विवाद पर खुलकर संकेत दिया। उन्होंने कहा कि भारत और चीन के बीच स्थिति एक हद से ज्यादा खराब नहीं हो, रूस यह सुनिश्चित करने के प्रयास में हमेशा रहेगा। इसके अलावा रूसी विदेश मंत्री ने यह संकेत भी दिया कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन को रोकने के लिहाज से बने भारत, अमेरिका, जापान और आस्ट्रेलिया के समूह क्वाड के कारण भारत को लेकर चीन का संदेह खत्म करने का प्रयास भी रूस करेगा। रूसी विदेश मंत्री के ये इशारे हवा-हवाई नहीं हैं क्योंकि रूस, भारत, चीन का संगठन रिक (आरआईसी) इसका आधार मुहैया कराता है।
रूस को जी-20 से बाहर करने की मांग
1- अमेरिका व जापान की तरफ से रूस को जी-20 से बाहर करने की मांग आ चुकी है। कनाडा, ब्रिटेन भी इसके समर्थन में बयान दे चुके हैं। आस्ट्रेलिया के भारत में उच्चायुक्त बैरी ओफैरेल ने एक कार्यक्रम में कहा कि, जी-20 से पुतिन को बाहर करने का मुद्दा समूह-20 देशों के बीच ही सुलझाया जाना चाहिए। यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद कम से कम दस देश रूस की सदस्यता खत्म करने को लेकर अपनी बात सामने रख चुके हैं। इसमें अमेरिका, जापान, कनाडा, आस्ट्रेलिया के अलावा ज्यादातर यूरोपीय देश हैं। वैसे जी-20 बैठक से किसी देश को बाहर करने की कोई स्पष्ट नीति नहीं है लेकिन पूर्व में जब जी-8 की बैठक हुई तब अमेरिका व उसके सहयोगियों ने क्रीमिया पर हमले को लेकर रूस को बाहर करने का फैसला किया था।
2- माना जा रहा है कि इस विषय में अमेरिका व उसके सहयोगी देश जून, 2022 में जी-20 के विदेश मंत्रियों की बैठक में फैसला कर सकते हैं। अभी तक आधिकारिक तौर पर चीन की तरफ से कहा गया है कि रूस को जी-20 से अलग करने के प्रस्ताव को वह स्वीकार नहीं करेगा। उधर, रूस को चीन के अलावा रूस को दक्षिण अफ्रीका, व सउदी अरब का साथ मिल सकता है। भारत ने यूक्रेन के मुद्दे पर अब तक जो रुख दिखाया है उसे देखते हुए इस बात की संभावना कम ही है कि वह पश्चिमी देशों की मांग पर आंख मूंद कर समर्थन करेगा। ध्यान रहे अक्टूबर, 2022 में जी-20 शिखर बैठक के आस पास ही भारत और रूस के बीच सालाना शिखर सम्मेलन भी होना है।
दुनिया के शक्तिशाली देशों का समूह
दिसंबर 2022 में जी-20 की अध्यक्षता भारत को मिलेगी। बता दें कि इटली ने 2021 में जी-20 की अध्यक्षता की थी। नवंबर 2022 तक इंडोनेशिया इसका अध्यक्ष रहेगा। जी-20 अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग का प्रमुख मंच है, जो वैश्विक आर्थिक नीतियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जी-20 का मतलब ग्रुप-20 से है। यह दुनिया के 19 शक्तिशाली देशों और यूरोपियन यूनियन (यूरोप के देशों का समूह) का समूह है। इस ग्रुप की स्थापना वर्ष 1999 में हुई थी। यह ग्रुप विश्व की 85 फीसद अर्थव्यवस्था और 75 फीसद वैश्विक व्यापार को नियंत्रित करता है। अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, फ्रांस, आस्ट्रेलिया, जर्मनी, चीन, भारत, रूस जैसे देश हर साल जी-20 समिट में मिलते हैं और विश्व के आर्थिक हालात पर चर्चा करते हैं।