त्रिपुरा सरकार की अनूठी पहल, होस्टल में बच्चों के साथ माताओं को भी रहने की इजाजत
त्रिपुरा सरकार एक नई योजना लेकर आई है, जिसके तहत राज्य के सरकारी छात्रावासों और बोर्डिंग स्कूलों में रहने वाले बच्चों के साथ माताओं को भी रहने की अनुमति दी गई है। त्रिपुरा के शिक्षा मंत्री रतन लाल नाथ ने कहा है कि यह योजना राजस्थान के कोटा के निजी कोचिंग संस्थानों से प्रेरणा लेकर शुरू की गई है। उनके अनुसार, यह योजना छात्रावासों में स्वस्थ वातावरण सुनिश्चित करने के लिए चलाई जा रही है जो बच्चों की शैक्षणिक उन्नति के लिए आवश्यक है। उन्होंने बताया, ‘बच्चों की माताएं एक हफ्ते के लिए होस्टल में रह सकती हैं। इसमें किसी भी तरह के लोकल गार्डियन, चाची, बहन आदि शामिल नहीं हैं।’
समाचार एजेंसी एएनआइ से बात करते हुए नाथ ने बताया, ‘वर्तमान में राज्य में आदिवासी कल्याण, एससी कल्याण और अल्पसंख्यक कल्याण जैसे विभागों के तहत 2004 छात्रावास हैं। योजना के अनुसार, एक समय में दो माताएं छात्रावासों में एक सप्ताह के लिए बच्चों के साथ रह सकती हैं। छात्रावास प्रभारी एवं अधीक्षकों को माताओं के रहने के लिए व्यवस्था करने के लिए कहा गया है। बारी-बारी से सभी बच्चों की माताएं निर्धारित एक सप्ताह के लिए छात्रावास परिसर में रह सकेंगी।
नाथ ने कहा, ‘इससे मां की उपस्थिति से बच्चों में सुरक्षा की भावना पैदा होगी और साथ ही शैक्षणिक प्रगति में भी उनकी भागीदारी बढ़ेगी।’ छात्रावास प्रभारी एवं अधीक्षक होस्टल में साफ-सफाई और बच्चों को दी जा रही भोजन एवं अन्य सुविधाओं जैसे मुद्दों पर माताओं से फीडबैक भी लेंगे। माताओं के रहने के लिए लिए छात्रावासों में अलग से व्यवस्था की जाएगी, जहां आवास एवं शौचालय का इंतेजाम किया जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि जहां सुविधा उपलब्ध नहीं होगी वहां यह योजना लागू नहीं की जाएगी।
उन्होंने मीडिया को यह भी बताया कि यह योजना केवल कानूनी रूप से प्रमाणित या जैविक मां के लिए है, कोई अन्य अभिभावक योजना का लाभ नहीं ले सकेगा और जिन माताओं को एक सप्ताह तक रहने की अनुमति दी जाएगी वो ठहरने के एक सप्ताह के समय को कम कर सकती हैं लेकिन इसे बढ़ाने की इजाजत उन्हें नहीं दी जाएगी।