कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के बीच बेहद खतरनाक साबित हो सकता है ‘आई डोंट केयर’ का विचार
नई दिल्ली, आम लोगों में जो ‘आई डोंट केयर’ का जो विचार आ चुका है, वह बहुत खतरनाक साबित हो सकता है। मानते हैं कि वे घर में बैठ-बैठ कर आप बोर हो चुके हैं, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि आप यह सोचें कि जो होना है होने दो या जिनको कुछ होना होता है उनको घर बैठे भी हो जाता है तो हम घर पर क्यों बैंठे रहें? ऐसा रुख ठीक नहीं है। कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो दूसरे को घूमते-फिरते देख उसकी देखा-देखी करते हैं। सोचते हैं कि जब ये भी जा रहे हैं, वे भी जा रहे हैं, तो हम भी पहाड़ों पर घूमने चले जाऐंगे, तो क्या ही हो जाएगा? यह सोच भी सही नहीं है।
जब तीसरी लहर के दस्तक देने की आशंका है तो लोगों को चाहिए कि अपने आपको याद दिलाएं कि कोविड कोई कल्पना नहीं है, बल्कि एक कड़वी हकीकत है। कुछ लोगों को तो यह भी लगता है कि हमने वैक्सीनेशन लिया है अब हमें कुछ नहीं होगा। यह भी ठीक नहीं है। वैक्सीन ली है तो जान का खतरा नहीं होगा, लेकिन वायरस संक्रमण तो हो ही सकता है। शुरू शुरू में लोगों को एंजायटी थी, वे डर कर घर बैठे। लेकिन अब वे सोचते हैं कि हम अपने ही ग्रुप में तो हैं, अपने ही बबल में हैं, तो कोई मुश्किल नहीं होगी। दो साल से घर बैठकर उकता जाने से भी उनका निडर रवैया हो गया है। जो कि ठीक नहीं है। इसके परिणाम खराब हो सकते हैं। कहीं न कहीं ऐसा लग रहा है कि लोगों की याददाश्त धुंधला गई है और वे दूसरी लहर की भयावहता को भूल गए हैं।