01 November, 2024 (Friday)

तालिबान ने विश्वविद्यालयों में महिलाओं के प्रवेश पर लगाई रोक, सऊदी अरब और तुर्किये ने की निंदा

काबुल: तुर्किये और सऊदी अरब ने यूनिवर्सिटीज में महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी को लेकर तालिबान प्रशासन की निंदा की है। वहीं, काबुल की सड़कों पर दो दर्जन महिलाओं ने इस कदम के खिलाफ गुरुवार को विरोध प्रदर्शन किया। घरेलू स्तर पर कई अफगान क्रिक्रेटरों ने भी यूनिवर्सिटी में महिलाओं के प्रवेश पर रोक की निंदा की है। बता दें कि अफगानिस्तान में क्रिक्रेट सबसे लोकप्रिय खेल है और सोशल मीडिया पर खिलाड़ियों के हजारों फोलोवर्स हैं। तालिबान शासकों ने हाल ही में देशभर में महिलाओं के निजी एवं सरकारी विश्वविद्यालयों में पढ़ने पर तत्काल प्रभाव से अगले आदेश तक रोक लगा दी थी।

सफाई देने के लिए प्रेस कॉन्फ्रेंस करेगा तालिबान

वैसे तो तालिबान प्रशासन ने अपने इस फैसले की कड़ी वैश्विक निंदा पर अबतक सार्वजनिक रूप से कुछ नहीं कहा है, लेकिन उच्च शिक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता जियाउल्लाह हाशमी ने गुरुवार को ट्वीट किया कि इस कदम पर सफाई देने के लिए इस सप्ताह एक प्रेस कॉन्फ्रेंस किया जाएगा। प्रारंभ में महिलाओं एवं अल्पसंख्यकों के अधिकारों का सम्मान करने तथा और अधिक उदार शासन का वादा करने के बावजूद तालिबान ने व्यापक रूप से इस्लामिक कानून या शरिया को कड़ाई से लागू किया है। उसने अगस्त, 2021 में सत्ता पर कब्जा कर लिया था।

तुर्किये ने फैसला वापस लेने की मांग की
तुर्किये के विदेश मंत्री मेवलट कावुसोगलु ने कहा कि यह पाबंदी न तो ‘इस्लामिक है और न ही मानवीय।’ उन्होंने तालिबान से यह कदम वापस लेने की मांग की। सन 2019 तक महिलाओं पर कई तरह की बंदिशें लगाते रहे सऊदी अरब ने भी तालिबान से अपना निर्णय वापस लेने की अपील की है। सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने अफगानिस्तान के इस कदम पर ‘हैरानी और अफसोस’ जताया है। बुधवार को सऊदी ने एक बयान में कहा कि यह फैसला ‘सभी इस्लामी देशों में आश्चर्यजनक है।’

महिलाओं पर अत्याचार के लिए बदनाम रहा है तालिबान
बता दें कि तालिबान के इस कदम की निंदा एक और इस्लामी मुल्क कतर भी कर चुका है। मुल्क की सत्ता पर दोबारा काबिज होने के बाद से ही तालिबान ने महिलाओं पर धीरे-धीरे पाबंदियां लगाने की शुरूआत कर दी थी। हालांकि तालिबान अभी तक महिलाओं पर अत्याचार के उस स्तर तक नहीं पहुंचा है जहां वह अपने पहले कार्यकाल में पहुंचा था, लेकिन उसके हालिया कुछ फैसले महिलाओं के हुकूक के लिए किसी अच्छे मुस्तकबिल की तरफ इशारा भी नहीं कर रहे हैं।

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