तालिबान के लिए पाक के समर्थन को संभालने में विफल रहा अमेरिका, सीनेटर का फूटा बाइडन पर गुस्सा
अमेरिका के एक शीर्ष सांसद ने मंगलवार को कहा कि अमेरिका तालिबान के लिए पाकिस्तान के समर्थन को संभालने में विफल रहा है और उन्होंने इसे अफगानिस्तान में अमेरिकी विफलता के प्रमुख कारणों में से एक बताया। सीनेटर जैक रीड ने अफगानिस्तान पर कांग्रेस की सुनवाई के दौरान कहा कि पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा हस्ताक्षरित दोहा समझौते में त्रुटिपूर्ण था।
वहीं, सीनेट सशस्त्र सेवा समिति के सदस्य सीनेटर जिम इनहोफे ने कहा कि अफगान सरकार अब अल-कायदा से लंबे संबंधों वाले आतंकवादियों के नेतृत्व में है। उन्होंने कहा कि हम अफगानिस्तान के हवाई क्षेत्र में प्रवेश करने के लिए पूरी तरह से पाकिस्तान सरकार की दया पर हैं। अगर हम वहां पहुंच भी जाते हैं, तो हम अफगानिस्तान में अल-कायदा पर हमला नहीं कर सकते क्योंकि हमें इस बात की चिंता है कि वहां मौजूद अमेरिकियों के साथ तालिबान क्या करेगा।
सीनेटरियल सुनवाई के दौरान उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति जो बाइडन के विनाशकारी निर्णय के कारण अमेरिकी परिवारों के लिए आतंकवादी खतरा काफी बढ़ रहा है, जबकि इन खतरों से निपटने की हमारी क्षमता समाप्त हो गई है। सीनेटर इनहोफे ने कहा कि अफगानिस्तान में जमीन पर अमेरिका का अब कोई विश्वसनीय साझेदार नहीं है।
सुनवाई के दौरान सीनेटर रीड ने कहा कि पूरे युद्ध के दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका तालिबान का समर्थन करने वाले पाकिस्तान से निपटने में असफल रहा, यहां तक कि अमेरिकी राजनयिक पाकिस्तानी नेताओं के साथ बातचीत की और इसकी सेना ने आतंकवाद विरोधी अभियानों में सहयोग किया। उन्होंने कहा, तालिबान ने फिर से संगठित होने के लिए पाकिस्तान के अंदर शरण ली। तालिबान के पुनरुत्थान को दोहा समझौते से जोड़ा जा सकता है, जिस पर तत्कालीन राष्ट्रपति ट्रंप ने 2020 में हस्ताक्षर किए थे।
रीड ने कहा कि हमारे गठबंधन सहयोगियों या यहां तक कि मौजूद अफगान सरकार के बिना पूर्व ट्रंप प्रशासन और तालिबान के बीच बातचीत की गई। इस सौदे ने अफगानिस्तान में पूरी अंतरराष्ट्रीय उपस्थिति को समाप्त करने का वादा किया। सीनेटर ने कहा कि तालिबान ने ट्रंप प्रशासन के अंतिम वर्ष का उपयोग हिंसा को बढ़ाने और काबुल पर कब्जा करने के लिए किया।