तालिबान और चीन के भावी गठजोड़ पर राष्ट्रपति जो बाइडन का बड़ा बयान, जानें क्या कहा
तालिबान के काफी करीब आ चुके चीन ने उसको वित्तीय मदद देने का एलान कर चुका है। वहीं तालिबान ने चीन के बनाए जा रहे आर्थिक कारिडोर में भागीदार बनने की बात कहकर उसकी मुराद बिना मांगे ही पूरी कर दी है। ये दोनों ही चीजें पहले से ही तय मानी जा रही थीं। अब चीन की तालिबान को फंडिंग पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने बड़ा बयान दिया है। उनका कहना है कि अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद चीन उसके साथ मिकलकर काम करने वाला है।
तालिबान को फंड मुहैया करवाने के मुद्दे पर बाइडन ने कहा कि चीन को तालिबान से समस्या है। इसलिए वो तालिबान के साथ मिलकर कुछ अरेंजमेंट जैसा करना चाह रहा है। उन्होंने ये भी कहा कि चीन ही नहीं बल्कि रूस और ईरान भी अब इस बात पर विचार कर रहे हैं कि अब क्या किया जाए।
आपको बता दें कि तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद अमेरिका ने अफगानिस्तान की विदेशों में जमा रकम की निकासी पर रोक लगा दी है। वहीं अमेरिकी दबाव में विश्व की वित्तीय संस्थाओं ने भी तालिबान को वित्तीय मदद करने से इनकार कर दिया है। ऐसे में तालिबान के सामने सबसे बड़ी समस्या धन की कमी की आ रही है। अमेरिका का साफ कहना है कि तालिबान महिलओं की इज्जत और उनके अधिकारों का सम्मान जब तक तालिबानी हुकूमत में नहीं किया जाएगा तब तक उसकी तरफ से कोई रियायत नहीं बरती जाएगी। अमेरिका ने ये भी कहा है कि तालिबान को अफगानियों के सारे अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए।
रायटर्स के मुताबिक जानकारों का ये भी कहना है कि यदि चीन और रूस तालिबान को वित्तीय मदद देने को तैयार हो जाते हैं तो उसको फंडिंग या वित्तीय मदद की कमी नहीं रहेगी। जी-20 में भी इसको लेकर बात होनी है। हालांकि ये बैठक कब होगी इसको लेकर अभी कुछ नहीं कहा गया है। इसमें इटली, चीन और रूस भी शामिल हैं। चीन के विदेश मंत्री ने पिछले दिनों अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से फोन पर बात की थी। वांग यी का कहना था कि तालिबान को बदलने के लिए ये जरूरी है कि विश्व के देश उससे बात करें और उसको सही राह पर लाएं। आपको बता दें कि चीन और रूस दोनों ने ही अब तक तालिबान की सरकार को मान्यता देने से इनकार ही किया है।