Takht-i-Bahi Buddhist monastery: पाकिस्तान और अमेरिका ने संयुक्त रूप से किया बौद्ध मठ का जीर्णोद्धार



पाकिस्तान और अमेरिका ने संयुक्त रूप से तख्त-इ-बहि बौद्ध मठ के जीर्णोद्धार का काम पूरा कर लिया है। उत्तर पश्चिम पाकिस्तान में स्थित इस मठ का जीर्णोद्धार सांस्कृतिक संरक्षण परियोजना के तहत किया गया है, जिस पर दो लाख 30 हजार डालर (करीब 1.72 करोड़ रुपये) का खर्च आया है। खैबर पख्तुनख्वा प्रांत के मर्दान में मठ में परियोजना के समापन कार्यक्रम में अमेरिकी महावाणिज्यदूत ग्रेगोरी मैक्रिस वर्चुअल तौर पर शामिल हुए। इस मौके पर उन्होंने कहा कि पाकिस्तान स्थित अमेरिकी मिशन स्थानीय पार्टनर के सहयोग से पूरे पाकिस्तान में सांस्कृतिक महत्व के स्थलों का संरक्षण करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह स्थल बौद्ध धर्म के सबसे प्रभावशाली अवशेषों में से एक माना जाता है। मानवीय और सुविधा देने वाला संगठन एचएएफओ (HAFO) को तख्त-ए-बहि की दो चरण की परियोजना को संरक्षित करने के लिए अमेरिकी अनुदान प्राप्त हुआ था।
संस्था ने किया जीर्णोंद्धार के काम को पूरा
पुरातत्व और संग्रहालय संग्रहालय खैबर पख्तूनख्वा के निदेशालय के साथ मिलकर काम करते हुए एचएएफओ ने दूसरे वर्ष में पिछले वर्ष की तुलना में बौद्ध पुजारियों के रहने वाले क्वार्टरों के संरक्षण के काम को पूरा किया। चरण एक के दौरान एचएएफओ को 2017 से 2019 तक मठ के ब्लॉक-बी को संरक्षित करने के लिए चार लाख डॉलर का अनुदान मिला। संरक्षण परियोजना ने दर्जनों कुशल और अकुशल श्रमिकों को प्रशिक्षण और रोजगार मिला। इसने स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक पर्यटन को भी बढ़ावा दिया, साथ ही हर हफ्ते सैकड़ों पर्यटक मठ में आते हैं। एचएएफओ ने परियोजना के दौरान खैबर पख्तूनख्वा के सैकड़ों छात्रों को मठ की यात्राएं कराईं, जिससे उन्हें बौद्ध मठ के इतिहास और संरक्षण प्रयासों के महत्व के बारे में शिक्षित किया गया।
अमेरिकी मिशन पाकिस्तान में देश भर में सांस्कृतिक संरक्षण के प्रयासों का समर्थन करता है और पूर्व में मोहब्बत खान मस्जिद और सूबे में गोरी गैथ्री की बहाली के लिए काम किया। मैक्रिस ने कहा कि खैबर पख्तूनख्वा कई जगहें ऐसी हैं जो पाकिस्तान की समृद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता को दर्शाती हैं। अमेरिकी मिशन के तहत पाकिस्तान की भविष्य की पीढ़ियों के लिए ऐसे स्थलों को संरक्षित करने के लिए पाकिस्तान के साथ साझेदारी करने पर गर्व है।