सुप्रीम कोर्ट ने कहा, सड़क निर्माण जैसी परियोजनाओं पर रोक लगाने से परहेज करें हाई कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि उच्च न्यायालयों को सड़कों के निर्माण जैसी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर रोक नहीं लगानी चाहिए। शीर्ष अदालत ने कहा कि सार्वजनिक सेवा के किसी भी अनुबंध में हल्के ढंग से हस्तक्षेप करने से परहेज करें। जनता की व्यापक भलाई से जुड़े मुद्दों पर इस तरह का कोई अंतरिम आदेश नहीं पारित किया जाना चाहिए, जो पूरी प्रक्रिया को पटरी से उतार दे।
जस्टिस हेमंत गुप्ता और वी रामसुब्रमण्यम की पीठ ने कहा, सड़कों का निर्माण एक बुनियादी ढांचा परियोजना है। विधायिका की इस मंशा को ध्यान में रखना होगा कि बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर रोक नहीं लगाई जानी चाहिए। इसलिए उच्च न्यायालयों को यह सलाह दी जाती है कि वे बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर रोक लगाने से परहेज करें। अदालतों को संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत अपने अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करते हुए भी इस तरह के प्रविधान को ध्यान में रखना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हाई कोर्ट की एकल पीठ द्वारा अंतरिम रोक लगाने से एक ठेकेदार को छोड़कर किसी को भी मदद नहीं मिली है। इस ठेकेदार ने एक अनुबंध की बोली खो दी है। इस पर रोक लगाने से केवल राज्य को नुकसान पहुंचा है। किसी को कोई लाभ नहीं हुआ है।
झारखंड हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील पर दिया फैसला
शीर्ष अदालत का यह फैसला झारखंड हाई कोर्ट की खंडपीठ के छह जनवरी, 2022 के आदेश के खिलाफ दायर अपील पर आया है। हाई कोर्ट की खंडपीठ ने एकल पीठ के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार द्वारा दायर अपील को खारिज कर दिया था। यह विवाद झारखंड सड़क निर्माण विभाग द्वारा नागरंतरी-धुरकी-अंबाखोरिया सड़क के पुनर्निर्माण के लिए टेंडर दिए जाने के संबंध में था।