एसआइटी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा- गुजरात दंगे की जांच में इस याचिका के अलावा किसी ने भी हम पर अंगुली नहीं उठाई
गुजरात में 2002 के दंगों की जांच करने वाले विशेष जांच दल (एसआइटी) ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि जकिया जाफरी द्वारा दायर याचिका के अलावा अन्य किसी ने भी उसकी जांच पर अंगुली नहीं उठाई। जकिया ने याचिका में राज्य में हिंसा के दौरान बड़ी साजिश का आरोप लगाते हुए प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित 64 लोगों को एसआइटी की क्लीन चिट को चुनौती दी है।
न्यायमूर्ति एएम खानविलकर, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्र्वरी और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार की पीठ ने गुजरात हाई कोर्ट के पांच अक्टूबर, 2017 के आदेश के खिलाफ जकिया जाफरी की याचिका पर गुरुवार को सुनवाई पूरी कर ली और कहा कि इस पर फैसला बाद में सुनाया जाएगा। हाई कोर्ट ने एसआइटी के निर्णय के खिलाफ जकिया की याचिका खारिज कर दी थी
एसआइटी की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि शीर्ष कोर्ट को जकिया जाफरी की याचिका पर निचली अदालत और हाई कोर्ट के फैसले की पुष्टि करनी चाहिए अन्यथा यह एक ‘अंतहीन कवायद’ है जो सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ की ‘कुछ मंशाओं’ के कारण चलती रहेगी। इस मामले में जकिया के साथ ही तीस्ता सीतलवाड़ दूसरे नंबर की याचिकाकर्ता हैं।
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सीतलवाड़ की संस्थाओं के कार्यों का उल्लेख किया और कहा कि हमें ‘गुजरात विरोधी और गुजरात को बदनाम करने वाले’ के रूप में पेश करना गलत है। सिब्बल ने कहा कि मेरी दिलचस्पी किसी को निशाना बनाने की नहीं है।
रोहतगी ने कहा कि एसआइटी को शीर्ष कोर्ट ने जिम्मेदारी सौंपी थी और इसने अपेक्षा से कहीं ज्यादा अच्छा किया। रोहतगी ने कहा कि इस याचिकाकर्ता के अलावा किसी ने भी एसआइटी जांच पर अंगुली नहीं उठाई। उन्होंने कहा कि सीतलवाड़ पिछले दस साल से इस मामले को खींच रही हैं। अब करीब 20 साल बाद वह चाहती हैं कि इस मामले में कोर्ट आगे जांच का आदेश दे। उनका अप्रत्यक्ष मकसद किसी न किसी तरह इस मामले को गरम रखना है।