25 November, 2024 (Monday)

बचपन से ही तपकर कुंदन बने हैं हनुमा विहारी, कोच ने किया खुलासा

Ind vs Aus: भारतीय टीम को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ तीसरा टेस्ट मैच बचाना था। मैच के दौरान हनुमा विहारी को हैमस्ट्रिंग इंजरी हुई। बावजूद इसके सिडनी क्रिकेट ग्राउंड (एससीजी) पर तीसरे टेस्ट मैच के पांचवें दिन सोमवार को हनुमा विहारी ने जुझारू और मैच ड्रॉ कराने वाली पारी खेली। इस पारी ने हनुमा विहारी के टेस्ट करियर पर खासा असर डाला है। हालांकि, वे अगले टेस्ट मैच से बाहर हो गए हैं और हो सकता है कि वे इंग्लैंड के खिलाफ भी सीरीज नहीं खेल पाएं, लेकिन इस पारी ने उन्हें निश्चित रूप से बहुत आत्मविश्वास देने का काम किया है।

कप्तान विराट कोहली ने सीरीज शुरू होने से पहले स्टीव स्मिथ के साथ बातचीत की थी। इसी बातचीत में उन्होंने हनुमा विहारी की तारीफ की थी। कप्तान कोहली ने कहा था कि विहारी एक ऐसे खिलाड़ी हैं, जिन्हें वह टेस्ट सीरीज के दौरान आगे देखना चाहते थे। कोहली के इन शब्दों को हनुमा विहारी ने झूठा साबित नहीं होने दिया। दर्द से कराहते हुए भी उन्होंने शानदार पारी खेली। रन दौड़ने में असफल होने की वजह से वे ज्यादा रन तो नहीं बना पाए, लेकिन 25 से ज्यादा ओवर खेलकर उन्होंने साबित कर दिया था कि भारतीय टीम किसी भी स्थिति में मैदान पर डटे रह सकती है।

विराट कोहली जब 18 साल के थे तो रणजी ट्रॉफी के एक मैच दौरान उनके पिता का निधन हो गया था। वहीं, हनुमा विहारी भी जब 10 साल के थे तो उनके पिता का निधन हो गया था। 2006 में अपने पिता के निधन के बावजूद कोहली रणजी ट्रॉफी में कर्नाटक के खिलाफ खेले थे। विहारी भी अपने पिता के निधन के बावजूद स्कूल के लिए एक फाइनल के मैच में खेले थे। उनके बचपन के बारे में उन्हीं के बचपन के कोच जॉन मनोज ने खुलासा किया है।

मनोज का कहना है, ” वह बहुत धैर्यवान व्यक्ति है। अपने पिता के निधन के बावजूद वह स्कूल के फाइनल मैच में खेले थे और 80 रन बनाए थे। वह शुरू से ही दृढ़ संकल्पी था। उनकी मां ने दिवंगत पिता के पेंशन के सहारे उनका सपोर्ट किया है।” विहारी ने सिडनी टेस्ट मैच में 161 गेंदों पर नाबाद 23 रन बनाए, जोकि दोहरे अंकों में पहुंचने का टेस्ट इतिहास का सबसे कम आंकड़ा है, लेकिन ये पारी इसलिए मायने रखती है, क्योंकि वे हैमस्ट्रिंग के बावजूद खेले और मैच ड्रॉ कराया।

हनुमा विहारी संयोग से, ऑस्ट्रेलिया 2012 में अंडर 19 विश्व कप जीतने वाली टीम के एकमात्र खिलाड़ी हैं, जोकि सीनियर भारतीय टीम में हैं। उस टूर्नामेंट में उनका औसत 11.83 का ही था, लेकिन विहारी ने घरेलू क्रिकेट में 56.75 की औसत से रन बनाए हैं। मनोज ने आगे कहा, “जब वह उस विश्व कप से स्वदेश लौटे थे तो उन्होंने हमेशा अपना ध्यान केंद्रित किया था। उनका लक्ष्य देश के लिए खेलने का था। हमें उन पर भरोसा था और हम उन्हें हमेशा प्रेरित करते थे और आज ये पारी इसका परिणाम है।”

 

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