Sensex के 60000 पार जाने में आम निवेशकों का है बड़ा रोल, एक्सपर्ट्स का है ऐसा मानना
Sensex रोजाना नए रिकॉर्ड बना रहा है। BSE का मुख्य सूचकांक अब 60 हजार के भी पार निकल गया है। बस इस मुकाम पर अगर यह बंद होता है तो क्या कहने। Nifty भी 18 हजारी होने के करीब है। Nifty 50 Index ने भी शुक्रवार को 17,947.65 का Intra day High बनाया है। वहीं सुबह के कारोबार में Sensex 60,333 को टच कर लौट आया। जानकारों की मानें तो यह सब मोदी सरकार के नीतिगत फैसलों का नतीजा है। इसके अलावा रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने मुद्रास्फीति यानि Inflation को काबू करने के लिए जो उपाय किए हैं, वे काबिलेतारीफ हैं। इसका सीधा असर शेयर बाजार पर पड़ा है।
मोदी सरकार के उपायों का कमाल
SMC Global के सौरभ जैन के मुताबिक 2020 में Covid Mahamari को लेकर किए गए उपायों का उतना असर बाजार पर नहीं हुआ था जितना इस साल देखने को मिल रहा है। इस बार बाजार का Sentiment पाजिटिव है। सरकार के प्रयासों से कई सेक्टरों में सुधार देखा जा रहा है। खासकर Real Estate सेक्टर में तो अच्छा उछाल आया है। मकानों और फ्लैटों की बिक्री बढ़ी है। इसका फायदा निवेशकों को हो रहा है। Realty शेयरों में अच्छी लिवाली है।
अमेरिकी फेड रिजर्व ने बढ़ाया हौसला
सौरभ जैन के मुताबिक Realty के साथ ही IT और सर्विस सेक्टर में भी उछाल है। इस रैली में China Real Estate के हाल का कोई असर नहीं है। हां, अमेरिका के केंद्रीय बैंक Fed reserve के US इकोनॉमी की अच्छी रफ्तार के बयान का असर ग्लोबली देखा जा सकता है।
FII का असर नहीं
सौरभ जैन के मुताबिक Sensex को बढ़ाने में FII यानि विदेशी निवेशकों की खास भूमिका नहीं है। वे बड़ी रणनीति के साथ निवेश करते हैं। अगर बाजार में कुछ भी कमजोर दिखेगा तो वे तत्काल बिकवाली पर उतारू हो जाते हैं।
इकोनॉमी की रिकवरी आगे धकेल रही बाजार को
IIFL Securities के CEO, रिटेल संदीप भारद्वाज के मुताबिक इकोनॉमी को लेकर आम निवेशकों की उम्मीदें बाजार को आगे धकेल रही हैं। कुछ साल में भारत और तरक्की कर जाएगा, इसको लेकर भी बड़ी उम्मीदें हैं। भारत हमेशा से विदेशी निवेशकों के लिए बेहतर बाजार रहा है। चीन के Real Estate में संकट भी विदेशी निवेशकों को भारतीय बाजार की ओर आकर्षित कर रहा है। मेरी राय में रिटेल निवेशकों को इस समय Diversified Portfolio में निवेश की रणनीति अपनानी चाहिए ताकि बाजार में कोई गिरावट आती है तो उनका नुकसान न हो।
बुलिश रवैये से डरा हुआ है निवेशक
HDFC Securities के वीके शर्मा के मुताबिक आम निवेशक बाजार के इस बुलिश रवैये से डरा हुआ है। उसे लग रहा है कि बाजार में कभी भी बड़ी गिरावट आ सकती है। इसलिए वे बिकवाल बने हुए हैं। अमेरिकी Fed Reserve की आगे की रणनीति भी भारतीय शेयर बाजार के Sentiment को पाजिटिव करने की बड़ी वजह है।
घरेलू अर्थव्यवस्था भी सुधर रही
वीके शर्मा के मुताबिक Fed Reserve ने कहा है कि वह 120 बिलियन डॉलर के बॉन्ड खरीदेगा, इस बयान का बाजार पर काफी सकारात्मक असर हुआ है। साथ ही घरेलू अर्थव्यवस्था भी सुधर रही है। खास सेक्टरों के Covid बाद काम शुरू करने से रोजगार बढ़ा है। लोग ज्यादा खर्च कर रहे हैं। महंगाई भी घटी है। टैक्स कलेक्शन बढ़ा है। इसके अलावा PM नरेंद्र मोदी इस हफ्ते अमेरिका में मूडीज के अफसर से मुलाकात करेंगे। इस मीटिंग में भारत की रेटिंग सुधारने पर बात होगी। अगर ऐसा होता है तो इसका सीधा असर भारतीय इकोनॉमी की रफ्तार पर पड़ेगा। रेटिंग सुधरेगी तो बैंकों को कम ब्याज पर Loan मिल पाएगा।
बाजार गिरता भी है तो भी न घबराएं
वीके शर्मा मुताबिक निवेशकों को सलाह है कि बाजार गिरता भी है तो भी न घबराएं। क्योंकि Sentiment मजबूत है। बाजार कोई भी करेक्शन के बाद भी रिकवर हो जाएगा।
साल 2017 में 30 हजार का स्तर
अप्रैल 2017 : 30133 अंक
17 जनवरी 2018 : 35081 अंक
30 अक्टूबर 2019 : 40051 अंक
जनवरी 2020 : 42000 के पार
4 दिसंबर, 2020 : 45079 अंक
21 जनवरी 2021 : 50000 के पार
03 फरवरी : 50,000 अंक से ऊपर बंद
05 फरवरी : 51,000 अंक के पार पंहुचा
08 फरवरी : 51,000 अंक से ऊपर बंद हुआ
15 फरवरी : 52,000 अंक के उच्चतम स्तर पर पंहुचा
22 जून : 53,000 के स्तर पर पंहुचा
07 जुलाई : पहली बार 53,000 के आंकड़े को पार किया
04 अगस्त : पहली बार 54,000 अंक के आगे निकला
13 अगस्त : पहली बार 55,000 के ऊपर बंद
18 अगस्त : पहली बार 56,000 के ऊपर
27 अगस्त : पहली बार 56,000 अंक के ऊपर बंद
31 अगस्त 2021: पहली बार 57 हजार का आंकड़ा पार
Motilal Oswal Financial Services Limited के MD मोतीलाल ओसवाल के मुताबिक Sensex ने आज 24 सितंबर को नया शिखर पाया है। Large Cap कंपनियों के शेयर अपने उच्च स्तर पर हैं। बाजार की इस रैली के पीछे वैश्विक कारण हैं। साथ ही घरेलू के साथ विदेशी निवेशक लिवाल बने हुए हैं। लेकिन निवेशकों को होशियार रहना चाहिए कि गिरावट में कैसे नुकसान से बचना है, इसका ध्यान रखें। हालांकि, बाजार कोई बड़ा करेक्शन बर्दाश्त कर सकता है।