रूस-अमेरिका के विदेश मंत्रियों ने 90 मिनट तक की बात, अगले हफ्ते मास्को के सुरक्षा प्रस्ताव पर वाशिंगटन देगा लिखित जवाब
यूक्रेन मसले पर अमेरिका और रूस के विदेश मंत्रियों के बीच शुक्रवार को स्विट्जरलैंड के जिनेवा शहर में करीब 90 मिनट वार्ता हुई। वार्ता में तय हुआ कि रूस के सुरक्षा प्रस्ताव पर अमेरिका हफ्ते भर में लिखित जवाब देगा। उसके बाद दोनों देशों के विदेश मंत्री एक बार फिर मिल सकते हैं। वार्ता से पहले होटल में प्रेसिडेंट विल्सन में हाथ मिलाते हुए रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा, ‘हमारा सुरक्षा की गारंटी संबंधी प्रस्ताव बिल्कुल स्पष्ट है, हम उसी तरह का स्पष्ट जवाब चाहते हैं। वार्ता के बाद अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा, आज कुछ खास होने की उम्मीद नहीं थी लेकिन बातचीत का रास्ता खुला है, इसलिए शांतिपूर्ण तरीके से मतभेद खत्म होने की उम्मीद पैदा हुई है। दोनों पक्षों ने बातचीत को रचनात्मक और उपयोगी बताया है।
यूक्रेन सीमा पर रूसी सैन्य जमावड़े से पैदा तनाव के बीच यह बैठक हुई थी। गुरुवार को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन रूस को आक्रमण करने पर भयंकर दुष्परिणाम की चेतावनी दे चुके हैं।
शुक्रवार को लावरोव से वार्ता के बाद प्रेस कान्फ्रेंस में ब्लिंकन ने भी इस चेतावनी को दोहराया। उन्होंने कहा, अमेरिका मामले का शांतिपूर्ण समाधान चाहता है, जरूरी होने पर राष्ट्रपति बाइडन वार्ता के लिए रूसी राष्ट्रपति पुतिन से मिल सकते हैं। वार्ता के बाद दोनों पक्षों के रुख से लगा कि यूक्रेन मसले पर बढ़े तनाव में कमी आई है, इसके परिणामस्वरूप टकराव की आशंका फिलहाल टल गई है।
इस बीच पश्चिमी देशों को लग रहा है कि रूसी सेना बेलारूस और क्रीमिया की सीमाओं से भी यूक्रेन पर हमला कर सकती है। इस प्रकार से यूक्रेन पर तीन तरफ से हमला बोला जा सकता है, जो यूक्रेन के लिए बेहद नुकसानदायक होगा। रूस ने यूक्रेन पर हमले की योजना से इन्कार किया है लेकिन कहा है कि अगर उसकी सुरक्षा को लेकर खतरा पैदा होता है तो वह सैन्य कार्रवाई के लिए स्वतंत्र है। जिनेवा पहुंचे रूस के उप विदेश मंत्री सर्गेई रिबकोव ने कहा, सैन्य कार्रवाई करते समय रूस को किसी का डर नहीं होगा, अमेरिका का भी नहीं।
ये है रूस के सुरक्षा प्रस्ताव की मांगें
रूस यूक्रेन को अमेरिका के नेतृत्व वाले सैन्य गठबंधन नाटो (उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन) में शामिल किए जाने की कोशिश का विरोध कर रहा है। रूस को लग रहा है कि यूक्रेन के नाटो में शामिल होने से अमेरिका की मिसाइलें उसकी सीमा पर तैनात हो जाएंगी। रूस यूक्रेन को नाटो में शामिल न किए जाने का स्पष्ट आश्वासन चाहता है। रूस पूर्वी और मध्य यूरोप से नाटो के सैनिकों को हटाए जाने की भी मांग कर रहा है।