रियल्टी उपभोक्ताओं के संरक्षण के लिए याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज होगी सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट सोमवार को उस जनहित याचिका पर सुनवाई करेगा जिसमें उपभोक्ताओं के संरक्षण के लिए बिल्डरों और एजेंट खरीदारों के लिए केंद्र को माडल समझौता तैयार करने के निर्देश देने की मांग की गई है। साथ ही इसमें रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथारिटी (रेरा) एक्ट, 2016 के मुताबिक रियल्टी सेक्टर में पारदर्शिता लाने की मांग भी की गई है।
यह याचिका जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस बी.वी. नागरत्ना के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है। इसे अधिवक्ता एवं भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय ने दायर किया है। इसके जरिये सभी राज्यों को माडल बिल्डर बायर एग्रीमेंट एवं माडल एजेंट बायर एग्रीमेंट लागू करने के निर्देश देने और ग्राहकों को मानसिक, शारीरिक और वित्तीय आघात से बचाने के लिए कदम उठाने का अनुरोध किया गया है। याचिका में कहा गया है, ‘प्रवर्तक, बिल्डर और एजेंट मुख्य रूप से मनमाना और एकतरफा समझौते का उपयोग करते हैं जो संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21 का उल्लंघन करते हैं।
अधिवक्ता अश्विनी कुमार दुबे के मार्फत दायर याचिका में कहा गया है कि मकान या फ्लैट का कब्जा मिलने में अत्यधिक देर होने के चलते रियल एस्टेट ग्राहक न सिर्फ मानसिक व वित्तीय आघात का सामना कर रहे हैं, बल्कि जीवन और आजीविका के उनके अधिकारों का भी गंभीर उल्लंघन हुआ है।