“पढ़ेंगी तभी बढ़ेंगी बेटियां’, महिला सशक्तिकरण के लिए बेटियों की शिक्षा सबसे जरूरी- सिंपल कौल
अभिनेत्री सिंपल कौल सोनी सब चैनल के आगामी धारावाहिक दिल जिद्दी माने ना में सैन्य अफसर कोयल के किरदार में नजर आएंगी। शरारत, ओए जस्सी और ये हैं हम शो की अभिनेत्री सिंपल बतौर मुख्य अभिनेत्री करीब छह वर्ष बाद टीवी पर वापसी कर रही हैं…
इतने वर्षों बाद इस शो के साथ वापसी का विचार कैसे आया?
कोरोनाकाल में मैं भी सभी की तरह दिल्ली में अपने घर में थी। इसी बीच मुझे इस शो के लिए काल आई। मुझे यह शो काफी अच्छा लगा। मैं घर में बैठे-बैठे बोर भी हो गई थी। इसलिए मुझे लगा कि यही सही वक्त है दोबारा काम पर लौटते हैं। इसके बाद मैंने कुछ राउंड आडिशन दिया, जो निर्माताओं को पसंद आया और मैंने इस शो पर
काम करना शुरू कर दिया। सैन्य अफसर का किरदार निभाने की क्या तैयारियां रहीं?
मैं इस शो में कोयल नाम की ऐसी आत्मनिर्भर और सशक्त लड़की का किरदार निभा रही हूं, जो आर्मी ज्वाइन करती है। उसका एक बच्चा है, जिसे बचाने के लिए वह कहीं से भागकर आई है। वह अपने बच्चे को छिपाकर रखती है, जिससे सभी को लगता है कि वह अविवाहित है। कोयल मानसिक और शारीरिक दोनों तौर पर सशक्त महिला है। असल जिंदगी में भी मेरा खेलों और शारीरिक गतिविधियों की ओर बचपन से रुझान रहा है। स्कूल के दिनों में मैंने स्टेट लेवल पर खेला है। इस वजह से मुझे इस किरदार की तैयारी में काफी मदद मिली।
स्क्रीन से दूरी का क्या कारण रहा?
मेरे तीन रेस्त्रां हैं और चौथा खोलने जा रही हूं। बीते करीब छह साल से मैं इन्हीं में व्यस्त थी और अपने उस सफर का आनंद ले रही थी। इस बीच बतौर एक्टर मैंने कैमरा और सेट को तो काफी मिस किया, लेकिन दोनों पर एक साथ फोकस करना मुश्किल था। साल 2019 में मैंने शो भाखरवाड़ी में एक मेहमान भूमिका निभाई, लेकिन उसके लिए भी मैं महीने में सात-आठ दिन ही शूटिंग कर पाती थी। इसके बाद जब महामारी की वजह से शो बंद हुआ तो मैंने दोबारा उससे जुड़ने के लिए मना कर दिया और कुछ दिनों में वह शो भी बंद हो गया। इसके अलावा मुझे कुछ ऐसा अच्छा आफर भी नहीं मिला कि मैं अपना काम छोड़कर एकदम से एक्टिंग में आ जाती।
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल डिफेंस एकेडमी में (एनडीए) में महिलाओं के प्रवेश की अनुमति दी है, रक्षा क्षेत्र में महिलाओं की क्या भूमिका देखती हैं?
हर परिवार को घर की बेटियों को इस क्षेत्र में आने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। मैं तो हमेशा से ही ऐसे ही माहौल में रही हूं। मेरे स्कूल में खेलकूद बहुत ज्यादा होता था। मैं खुद भी खेलों में बहुत अच्छी थी। हमारे यहां साहसी और प्रतिभाशाली महिलाओं की कमी नहीं है। गांवों से कम सुविधाओं के बाद भी बहुत अच्छी एथलीट निकलती हैं। खेलकूद शारीरिक विकास के साथ-साथ मानसिक विकास में भी मदद करता है। मुझे लगता है कि लड़कियां रक्षा क्षेत्र से जुड़कर काफी कुछ कर सकती हैं। हमें बस उन्हेंं प्रोत्साहित करने की जरूरत है।
देश में महिला सशक्तिकरण की दिशा में और आगे बढ़ने के लिए आप क्या चीजें जरूरी समझती हैं?
महिला सशक्तिकरण के लिए बेटियों की शिक्षा सबसे जरूरी है। हर माता-पिता को अपनी बेटी को सबसे अच्छी शिक्षा देने की कोशिश करनी चाहिए। शिक्षित होने के बाद बच्चे अपने आप आत्मनिर्भर होने के मायने समझ जाते हैं। सभी के शिक्षित हो जाने के बाद महिला-पुरुष असमानता की समस्या ही कभी नहीं आएगी, क्योंकि लड़कियों और महिलाओं को अपने अधिकारों की समझ हो जाएगी।