रामजन्मभूमि परिसर में दिखेंगे रामकथा के 108 प्रसंग, जीवंतता की पर्याय हैं तैयार हो रहीं कलाकृतियां
अयोध्या । रामजन्मभूमि परिसर भव्य राम मंदिर के अलावा जिन आध्यात्मिक-सांस्कृतिक महत्व के प्रकल्पों से सज्जित होगा, उनमें रामकथा के 108 प्रसंगों का अंकन भी शामिल है। रामजन्मभूमि परिसर को सज्जित करने के अन्य प्रकल्प और उनकी तैयारी नौ नवंबर 2019 को सुप्रीम फैसला आने के बाद की है, वहीं रामकथा के प्रसंगों को अपेक्षित दृश्यों एवं संबंधित पात्रों की प्रतिमाओं में ढालने का काम 2013 से ही चल रहा है और अब तक 40 फीसदी के करीब काम हो भी चुका है। इस परियोजना के मुख्य शिल्पी रंजीत मंडल के अनुसार विहिप के तत्कालीन कार्यकारी अध्यक्ष अशोक सिंहल के कहने पर उन्होंने रामघाट स्थित रामसेवकपुरम में मूर्तियां गढऩे का काम शुरू किया।
रामकथा के अनुक्रम के अनुरूप उन्होंने शुरुआत राजा दशरथ के पुत्रेष्टि यज्ञ का प्रसंग निरूपित करने से की। इसी के साथ ही रंजीत की चमत्कारिक प्रतिभा का परिचय मिलता है। इस दृश्य में एक ओर यज्ञकुंड से प्रादुर्भूत यज्ञ पुरुष अनुष्ठान का फल लिए हुए पूरी करुणा से प्रस्तुत हैं और सम्मुख दशरथ विह्वलता के साथ यह फल लेने को उत्सुक हैं, तो पाश्र्व में यज्ञ कराने वाले आचार्य श्रृंगी ऋषि का चमकदार आभामंडल उनके किरदार से पूरा न्याय करता प्रतीत होता है। अगले दृश्यों में चारो भाइयों सहित श्रीराम को राजा दशरथ और तीनों रानियां दुलरा रही होती हैं।
इस दृश्य में शिशुओं की उपस्थिति का आह्लाद और राजा तथा रानी का वात्सल्य देखने वालों को भी अपने आगोश में लेता है। यह उदाहरण भर है। सच्चाई यह है कि आठ वर्षों के प्रयास से रंजीत ने जिन 40 प्रसंगों को ढालने में सफलता पाई है, वे सभी जीवंतता के पर्याय हैं और प्रसंग के अनुरूप दर्शकों को बांधने में राई भर की भी कसर नहीं छोड़ते। मसलन एक कलाकृति में श्रीराम और कौशल्या का अंकन है। इसमें श्रीराम मां को अत्यंत प्रफुल्लता से निहार रहे होते हैं, तो मां का वात्सल्य और उनकी विमुग्धता मां-बेटे के बीच स्नेह के समीकरण की नई परिभाषा गढ़ रही होती है।