Rajasthan Nagar Nigam Election: भाजपा की रणनीति हुई फेल, तीन केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ नेता नहीं दिखा सके कौशल



राजस्थान के तीन बड़े शहरों के सभी 6 नगर निगम में चुनाव जीतने की भाजपा की रणनीति काफी हद तक फेल रही। तीन केंद्रीय मंत्री, सांसदों व वरिष्ठ नेताओं को चुनाव अभियान की कमान सौंपने के बावजूद भाजपा शहरी मतदाताओं पर अपनी पुरानी पकड़ कायम नहीं रख सकी।
वहीं अपने हिसाब से वार्डों का परिसीमन करना कांग्रेस के लिए फायदेमंद साबित हुआ। तीन की जगह छह नगर निगम बनाकर अशोक गहलोत सरकार ने पहले की अपेक्षा वार्ड छोटे किये, मुस्लिम बहुल इलाकों को अपने हिसाब से वार्डों में शामिल किया, जिसका फायदा कांग्रेस को मिला। यह सब मात्र 2.25 फीसदी वोट स्विंग होने से हुआ । जयपुर, जोधपुर व कोटा के 6 नगर निगमों में मंगलवार को चुनाव परिणाम घोषित हुए। भाजपा के गढ़ माने जाने वाले कोटा के दोनों व जयपुर के एक निगम में कांग्रेस के आगे रहने से दोनों ही पार्टियों में राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई। सभी 6 निगम जीतने का दावा करते हुए प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनियां के नेतृत्व 3 केंद्रीय मंत्रियों गजेंद्र सिंह शेखावत, अर्जुन राम मेघवाल व कैलश चौधरी के साथ आधा दर्जन सांसद, विधायकों व वरिष्ठ नेताओं को कमान सौंपी थी, लेकिन वे ज्यादा कुछ नहीं कर सके। ऐस में पूनिया के विरोधी सक्रिय हो गए ।
पूनिया के विरोधियों का कहना है कि अब तक पार्टी की पकड़ में रहे शहरी मतदाता कमजोर चुनावी रणनीति और क्षेत्रीय विधायकों को दरकिनार कर टिकट बांटने से नुकसान हुआ है। पूर्व विधायक भवानी सिंह राजावत का कहना है कि वसुंधरा राजे को दरकिनार करने, उनके पोस्टर नहीं लगाने देने के कारण ऐसा हुआ है। वहीं कांग्रेस में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पहले से अधिक मजबूत साबित हुए हैं। सचिन पायलट के विद्रोह और फिर वापसी के बाद मुख्यमंत्री राजनीतिक रूप से थोड़े असहज लग रहे थे, लेकिन निगम चुनाव जीतने से उन्हे राजनीतिक लाभ मिला है।
सबसे मजबूत गढ़ में ज्यादा नुकसान
भाजपा को सबसे ज्यादा नुकसान कोटा में हुआ है। वहां पर वरिष्ठ नेता राजेंद्र राठौड़, सांसद अर्जुन मीणा और पूर्व मंत्री किरण माहेश्वरी के पास चुनाव अभियान की कमान थी। यहां एक नगर निगम में कांग्रेस को पूर्ण बहुमत मिला और दूसरे में निर्दलीय पार्षदों के सहयोग से मेयर बनाने की स्थिति में है। पूर्व विधायक प्रहलाद गुंजल ने तो इसके लिए सीधे तौर पर राठौड़ को जिम्मेदार ठहराया है। पहले जनसंघ और फिर भाजपा के मजबूत गढ़ रहे कोटा में पहली बार कांग्रेस को बढ़त मिली है। सीधे तौर पर इसके लिए पार्टी की मौजूदा टीम को जिम्मेदार ठहाया जा रहा है।
सवाल उठ रहे हैं कि इतना नुकसान कैसे हुआ। केंद्रीय मंत्री मेघवाल जयपुर शहर के समन्वयक थे। प्रदेश के पूर्व मंत्री मदन दिलावर, वासुदेव देवनानी व विधायक रामलाल शर्मा उनके सहयोग के लिए लगाए गए थे। पार्टी यहां दो में से एक में ही बहुमत हासिल कर सकी, एक निगम में कांग्रेस आगे रही। जोधपुर केंद्रीय जलसंसाधन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत का गृह क्षेत्र है। चुनाव की कमान उनके पास थी। उन्होंने यहां रोड़ शो तक किया।
पार्टी ने केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी, सांसद राजेंद्र गहलोत व विधायक जोगेश्वर गर्ग को प्रभारी बनाया था। लेकिन भाजपा को दो में से एक ही निगम में बढ़त मिल सकी। 6 निगम में 560 वार्डों में पार्षद का चुनाव हुआ, लेकिन बसपा, आम आदमी पार्टी व राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के प्रत्याशी भी एक वार्ड भी नहीं जीत सके।