पुखरायण में राष्ट्रपति: पुखरायां की जनता को राष्ट्रपति ने बताया संघर्ष के साथी, कहा; इनसे दिल का रिश्ता
देश के प्रथम नागरिक और परौंख की माटी के लाल राम नाथ कोविन्द अपनी कर्मस्थली पुखरायां पहुंचे तो भाव विह्वल हो गए। उन्होंने उन साथियों को भी याद किया, जिन्होंने उनके सार्वजनिक जीवन के शुभारंभ के दिनों में संघर्ष में साथ दिया और हर पल उनका हौसला बढ़ाया, साथ ही उन्हें भी नमन करना नहीं भूले जिनके घरों में वे लोकसभा या विधानसभा चुनाव लड़ते समय प्रचार के दौरान रुकते थे। उन्होंने पुखरायां को अपने सार्वजनिक जीवन का केंद्र बिंदु बताते हुए इससे अपना रिश्ता जोड़ा और कहा कि सावर्जनिक जीवन का शुभारंभ यहीं से हुआ तो इसे और यहां के लोगों को आखिर मैं कैसे भूल सकता हूं।
पुखरायां से रिश्तों का बखान सुन जनता श्रोता हुए भावुक: राष्ट्रपति ने कहा कि आज से 30 वर्ष पहले 1991 में एक राजनीतिक दल ने मुझे घाटमपुर लोकसभा से चुनाव लड़ाया था। तब पहली बार पुखरायां आकर मैं लोगों से मिला। मुझे यहां के लोगों ने इतना प्यार और सम्मान दिया कि मैं उसे भूल नहीं सकता। मैं यह कह सकता हूं कि इतना प्यार मैंने अपने जीवन में पहली बार देखा और पाया था। मेरे लोकसभा चुनाव का केंद्र बिंदु पुखरायां था, विधानसभा चुनाव, राज्यसभा के कार्यकाल का केंद्र बिंदु भी पुखरायां ही था। राज्यपाल बनने के बाद भी केंद्र बिंदु पुखरायां था और आज मैं राष्ट्रपति हूं तो भी केंद्र बिंदु पुखरायां ही है। यद्यपि मेरा जन्म परौंख में हुआ है, लेकिन मेरे सार्वजनिक जीवन का आरंभ यहीं से हुआ है। पुखरायां का मेरे हृदय में विशेष स्थान है। राष्ट्रपति के पुखरायां से अपने रिश्तों का बखान सुन पांडाल में बैठे युवा हों बुजुर्ग हर किसी के चेहरे पर अपार खुशी का भाव देखने को मिला। उनके हर वाक्य पर तालियां बजीं। ऐसा लग रहा था मानों हर कोई चाहता हो कि राष्ट्रपति पुखरायां और यहां के लोगों के रिश्ते के बारे में ज्यादा से ज्यादा बताएं।
सीएम के दृढ़ संकल्प से संभव हुआ राष्ट्रपति का दौरा: राष्ट्रपति ने कहा कि जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ राष्ट्रपति भवन में मुझसे मिलने आए तो मैंने उनसे कानपुर और कानपुर देहात जाने को लेकर इच्छा जाहिर की और फिर मौसम को लेकर तमाम चिंताएं जाहिर कीं, लेकिन उन्होंने कहा कि पानी बरसेगा तो बरसे आप कानपुर आएंगे, पुखरायां भी जाएंगे और परौंख भी। आज यह सबकुछ संभव हुआ। आज मैं अपनी जन्मस्थली परौंख भी आया और पुखरायां भी।
ताकि जनता के पैसे की न हो बर्बादी: राष्ट्रपति ने कहा कि लोग चाहते हैं कि मैं बार- बार यहां आऊं, लेकिन यह संभव नहीं है। संभव क्यों नहीं है इसे भी उन्होंने समझाया कहा कि अगर मैं बार- बार आऊंगा तो कार्यक्रम में ज्यादा पैसे खर्च होंगे और यह पैसा वह है जो आप टैक्स के रूप में देते हैं। इसलिए टेलीफोन से आपसे बात करने, आपको पत्र लिखना ज्यादा अच्छा होता है। उन्होंने संघर्ष के दिनों में साथ निभाने वाले स्व. सत्यनारायण सचान, राजाराम तिवारी, पूर्व मंत्री कमल रानी वरुण समेत कई पुराने साथियों को नमन किया और कहा कि मेरे यहां तक पहुंचने में उनका योगदान बहुत है।