07 April, 2025 (Monday)

पुजारा की एकाग्रता सीखने लायक है : मोहम्मद रिज़वान

पाकिस्तान के विकेटकीपर बल्लेबाज़ मोहम्मद रिज़वान ने काउंटी चैंपियनशिप में ससेक्स के अपने साथी चेतेश्वर पुजारा की “एकाग्रता और फ़ोकस” की तारीफ़ की है और बताया है कैसे भारतीय टीम के बल्लेबाज़ पुजारा ने उन्हें इंग्लैंड में हल्के हाथों से और शरीर के क़रीब खेलने की हिदायत देकर मदद की है।

रिज़वान और पुजारा के बीच डरहम के ख़िलाफ़ पिछले महीने छठे विकेट के लिए 154 रनों की साझेदारी हुई थी जिसमें रिज़वान ने 79 बनाए थे। पुजारा फ़िलहाल भारतीय टेस्ट टीम से बाहर हैं लेकिन ससेक्स के लिए अब तक उन्होंने चार प्रथम श्रेणी मुक़ाबलों में 143.40 की औसत से 717 रन बनाए हैं जिनमें दो शतक और दो दोहरे शतक शामिल हैं। रिज़वान के साथ साझेदारी रचते हुए पुजारा ने 203 रन बनाए थे और रिज़वान ने काउंटी क्रिकेट में धीमी शुरुआत के बाद अपने फ़ॉर्म में सुधार का श्रेय पुजारा को दिया।

‘क्रिकविक’ नामक यूट्यूब चैनल पर उन्होंने कहा, “आप सबके सामने है कि हम जो सालों से खेलते आ रहे हैं तो वाइड बॉल को शरीर से दूर खेलते हैं क्योंकि आप सफ़ेद गेंद [क्रिकेट] में अपने शरीर के क़रीब बहुत कम देखते हैं। यहां [पाकिस्तान में] स्विंग और सीम कम होता है तो आप रन ही देखते हैं। तो शुरुआत में मैं दो दफ़े शरीर से दूर खेलते हुए आउट हुआ। फिर मैं जाकर नेट्स में इससे [पुजारा] मिला हूं और उसने यही कहा कि ‘हम पाकिस्तान या एशिया में खेलते हुए ज़ोर से ड्राइव लगाते हैं। यहां ज़ोर नहीं लगाना पड़ता।’ और दूसरा यही कि शरीर के क़रीब खेलना पड़ता है क्योंकि मैं तो शरीर से दूर ही खेलते आ रहा हूं।”

रिज़वान ने कहा कि पुजारा की एकाग्रता और फ़ोकस सीखने लायक हैं और उनके व्यक्तिगत जीवन में जिन खिलाड़ियों में यह ख़ूबियां उन्हें सबसे ज़्यादा पसंद हैं उनमें पुजारा का नाम भी शामिल होगा। उन्होंने कहा, “मैंने अपने जीवन में सबसे ज़्यादा एकाग्रता और फ़ोकस के लिहाज़ से यूनुस भाई [ख़ान] को पहले स्थान पर रखता हूं और फिर फ़वाद आलम को। पुजारा की जो फ़ोकस और एकाग्रता है वह इन्हीं के बराबर है। यह मैं ख़ुद ढूंढ़ने की कोशिश करूंगा कि किस तरह यह तीनों लोगों में एकाग्रता और फ़ोकस सबसे ज़्यादा है।”

वैसे तो भारत और पाकिस्तान के खिलाड़ी कई सालों से काउंटी क्रिकेट में साथ या एक दूसरे के ख़िलाफ़ खेलते नज़र आए हैं। 1970 और 1980 के दशक में जब पाकिस्तान टीम के लगभग सारे बड़े नाम काउंटी क्रिकेट का हिस्सा थे तब बिशन सिंह बेदी, सुनील गावस्कर, कपिल देव, मनोज प्रभाकर और मोहम्मद अज़हरुद्दीन भी काउंटी क्रिकेट में नियमित रूप से खेलते थे। हाल ही में भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट काफ़ी कम हो गया है और 2013 में आख़िरी द्विपक्षीय सीरीज़ के बाद उनका मैच सिर्फ़ आईसीसी मैचों में ही देखने को मिला है। रिज़वान का मानना है कि क्रिकेट जगत एक परिवार जैसा है और यहां खिलाड़ी कभी भी एक दूसरे के मूल देश को ज़हन में नहीं लाते। उन्होंने कहा, “क्रिकेट एक फ़ैमिली है हमारी। अगर हमारा सगा भाई ऑस्ट्रेलिया के लिए खेल रहा होगा तो हमें तो उसे आउट करने की कोशिश करनी होगी क्योंकि हम अपने मुल्क़ के लिए खेल रहे हैं। यह जंग होती रहती है ग्राउंड के अंदर जाकर। मगर ग्राउंड के बाहर यह एक फ़ैमिली है। अगर मैं यह कहूं कि ‘हमारा विराट कोहली’, ‘हमारा पुजारा’, ‘हमारा स्मिथ’ या ‘हमारा रूट’ तो यह ग़लत होगा।”

पुजारा से उनके संबंध पर पूछे जाने पर रिज़वान ने बताया कि उनकी और पुजारा की दोस्ती काफ़ी सहजता से बन गई। उन्होंने कहा, “यक़ीन करें मुझे तो अब तक कुछ भी अजीब सा नहीं लगा। हालांकि मैं उनसे मज़ाक़ करता रहता हूं और थोड़ा तंग भी करता रहता हूं। मगर वह बहुत ही अच्छे इंसान हैं और उनकी एकाग्रता और फ़ोकस सीखने लायक है। अगर आपको कुछ सीखने को मिलता है तो सीखना चाहिए।”

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