पीसीबी अध्यक्ष रमीज़ राजा का पद ख़तरे में
प्रधानमंत्री इमरान ख़ान की सरकार के गिरने के एक हफ़्ते बाद पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) की अध्यक्षता पर संदेह बना हुआ है। पिछले साल इमरान ने रमीज़ राजा को पीसीबी का अध्यक्ष चुना था।
हालांकि इमरान के पद से हटने के बाद अब रमीज़ की अध्यक्षता पर काले बादल मंडरा रहे हैं। आमतौर पर सरकार के बदलने पर पीसीबी का नया अध्यक्ष नियुक्त किया जाता है। माना जा रहा है कि नए प्रधानमंत्री शाहबाज़ शरीफ़, जो स्वचलित रूप से पीसीबी के संरक्षक का पद ग्रहण करते हैं, पीसीबी के नए अध्यक्ष की तलाश में जुट गए हैं।
10 अप्रैल को एक अविश्वास प्रस्ताव के बाद प्रधानमंत्री पद से हटाया गया था। तब से उनकी पार्टी (पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़) के सांसदों ने संसद से इस्तीफ़ा दे दिया है और विभिन्न राज्य संस्थानों में पार्टी की नियुक्तियों को धीरे-धीरे हटाया या बदला जा रहा है।
साथ आए दलों के गठबंधन वाली सरकार फ़िलहाल एक नए कैबिनेट की निर्माण पर काम कर रही हैं। क्रिकेट वर्तमान में सर्वोच्च प्राथमिकता नहीं है लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि अंततः बोर्ड में बदलाव देखने को मिलेगा। जैसा कि अक्सर होता है, रमीज़ की जगह नए अध्यक्ष के लिए कई नाम सुर्खियों में हैं। बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष और शरीफ़ परिवार के सहयोगी नजम सेठी प्रमुख नामों में से एक हैं। (हालांकि माना जा रहा है कि सेठी शरीफ़ की बजाय उनके बड़े भाई नवाज़ के ज़्यादा क़रीब हैं।)
अध्यक्षता के अलावा पीसीबी में और भी बदलाव देखने को मिल सकते हैं। इमरान के जाने के बाद अब बोर्ड के पूर्व सदस्यों का एक समूह सरकार से घरेलू क्रिकेट के पुराने फ़ॉर्मेट में वापस जाने की मांग कर रहा हैं जिसमें विभागीय टीमें प्रथम श्रेणी क्रिकेट का हिस्सा थी। इमरान ने 2019-20 में घरेलू प्रतियोगिता में बदलाव किया था।
माना जा रहा है कि नए अध्यक्ष की नियुक्ति अवश्य होगी। जबकि नई सरकार अपना मंत्रिमंडल तैयार कर रही हैं और सबसे अहम मुद्दों पर काम कर रही हैं, रमीज़ ने अपना पदभार संभाले रखा हैं। वह आईसीसी की बैठकों के लिए दुबई गए थे जहां चार देशों के बीच वार्षिक टी20 प्रतियोगिता करवाने का उनका प्रस्ताव ख़ारिज किया गया।
संवैधानिक रूप से, देश के प्रधानमंत्री, संरक्षक के रूप में, पीसीबी के गवर्निंग बोर्ड में दो सदस्यों को नामित करते हैं। इन दो सदस्यों के बीच अध्यक्ष पद के लिए औपचारिक चुनाव होता है। हालांकि सही मायनों में देखा जाए तो प्रधानमंत्री ही अध्यक्ष की नियुक्ति करता है। संविधान में कोई प्रावधान संरक्षक को मौजूदा अध्यक्ष को पद से हटाने की अनुमति नहीं देता है। अध्यक्ष को हटाने का एकमात्र तरीक़ा गवर्निंग बोर्ड में अविश्वास मत है जिसमें तीन चौथाई बहुमत की आवश्यकता होती है। लेकिन आम तौर पर, यदि संरक्षक चाहता है कि अध्यक्ष बदला जाए, तो उसका पद पर बने रहना असमान्य है। जब 2018 में इमरान पीएम चुने गए, तो सेठी ने ख़ुद इस्तीफ़ा दे दिया था ताकि एहसान मनी को अध्यक्ष बनाया जाए।