महामारी से प्रभावित शिक्षा और कौशल विकास क्षेत्रों को है केंद्रीय वित्तमंत्री से ये उम्मीदें
वैश्विक महामारी कोरोना (कोविड-1) के कारण लगातार दूसरे शैक्षणिक वर्ष में प्रभावित होने से देश का शिक्षा और कौशल विकास क्षेत्र बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं। फिर चाहते विद्यालयी शिक्षा हो या उच्च शिक्षा, महामारी की रोकथाम के चलते परंपरागत शिक्षण प्रणाली की बजाय वर्चुअल मोड में डिजिटल तरीके से पढ़ाई से लेकर परीक्षाओं का आयोजन अभी तक किया जा रहा है। वहीं, देश में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को विद्यालयी एवं उच्च शिक्षा में लागू किए जाने की प्रक्रिया भी चल रही हैं। इन सभी के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के वित्त वर्ष 2022-23 के लिए बजट को केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण आज 1 फरवरी 2022 को जब प्रस्तुत करेंगी, तो शिक्षा एवं कौशल विकास क्षेत्र को क्या-क्या उम्मीदें, आइए जानते हैं।
Education Sector Budget 2022 (शिक्षा क्षेत्र का बजट): ये हैं उम्मीदें
महामारी से प्रभावित शिक्षा और कौशल विकास के क्षेत्रों में डिजिटल एजुकेशन में तेज वृद्धि हुई है ऐसे में एडुटेक कंपनियों द्वारा शैक्षिक सेवाओं के दायरे को बढ़ाने, डिजीटल इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने और जीएसटी समर्थन की मांग की जा रही है। यूफियस लर्निंग के सह-संस्थापक और प्रबंध निदेशक सर्वेश श्रीवास्तव कहते हैं, “जबकि मुख्य शैक्षिक सेवाओं को जीएसटी से पूरी तरह छूट दी गई है, शैक्षिक सेवाओं की परिभाषा शैक्षणिक संस्थानों द्वारा अपने छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों को प्रदान की जाने वाली सेवाओं तक सीमित है। हमारी अपेक्षा है कि हम इसकी समीक्षा करें और शैक्षिक सेवाओं की पूर्ति करने वाली संस्थाओं के लिए भी इसे और अधिक समावेशी बनाएं। एडटेक कंपनियों को जीएसटी पर समर्थन मिलना चाहिए ताकि इन समाधानों को और अधिक किफायती बनाया जा सके और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच का लोकतंत्रीकरण करने वाले बहुत बड़े छात्र आधार द्वारा उपयोग किया जा सके। इसके अलावा, प्रौद्योगिकी को अपनाने का समर्थन करने के लिए, हम उम्मीद करेंगे कि सरकार पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ाने के लिए विशेष प्रोत्साहन / योजनाओं की समीक्षा करेगी।”
वहीं, शिक्षा क्षेत्र के लिए बजट आवंटन को पिछले कुछ वर्षों की तुलना में अधिक रखने की मांग उच्च शिक्षा संस्थान कर रहे हैं विशेषतौर पर बुनियादी ढांचे के विकास के लिए। एचएसएनसी यूनिवर्सिटी के प्रोवोस्ट डॉ. निरंजन हीरानंदानी कहते हैं, “शिक्षा क्षेत्र के लिए सरकार को पिछले कुछ वर्षों की तुलना में अधिक प्रोत्साहन देना चाहिए, खासतौ पर बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने के लिए फिर चाहते यह फिजिकल हो या डिजिटल या दोनों। इसके अतिरिक्त सरकार को उच्च शिक्षा में ड्रॉप-आउट की ओर ध्यान देना चाहिए, जिसके पीछे मुख्य कारण है वित्त की कमी। हालांकि, शिक्षा-ऋण प्रदाताओं की संख्या में वृद्धि हुई है, लेकिन उच्च ब्याज दरें एक बड़ी चुनौती बनी हुई हैं। इसलिए, इस बजट को शिक्षा ऋण को बढ़ावा देने पर भी विचार करना चाहिए और ऋणों के ब्याज को कम करना चाहिए। जीएसटी दरें भी मध्यम और निचले स्तर पर वित्तीय दबाव बनाती हैं। शैक्षिक सेवाओं के लिए जीएसटी दरों में संशोधन का राष्ट्रीय साक्षरता पर बहुत प्रभाव पड़ेगा क्योंकि इससे अधिक छात्रों को जोड़ा जा सकेगा। कुल मिलाकर, हम उम्मीद करते हैं कि वित्तमंत्री केंद्रीय बजट के माध्यम से छात्रों, शिक्षकों, संस्थानों और हर संबद्ध हितधारक के लिए अधिक से अधिक सुविधाएं सुलभ कराएंगी, जो महामारी के कारण वंचित रह गए हैं।”
इसी प्रकार, कौशल विकास को भी केंद्रीय वित्तमंत्री से काफी उम्मीदें हैं। वाधवानी फाउंडेशन में वाधवानी अपॉर्चुनिटी के कार्यकारी वीपी सुनील दहिया कहते हैं, “वर्ष 2022 में प्रशिक्षण, अपस्किलिंग और टैलेंट को बढ़ावा देना भारत में वर्तमान समय की आवश्यकता है। हमारी सरकार से तीन प्रमुख मांगे हैं – सरकार के नेतृत्व वाले, प्रशिक्षण और कौशल केंद्रों के लिए बजट आवंटित होना चाहिए, उद्योगों में व्यावसायिक और अनुभवात्मक नेतृत्व वाले रोजगार के सृजन ध्यान दिया जाना चाहिए, और न्यूनतम मजदूरी नीति को अनिवार्य करके पूरे भारत में कंपनियों के लिए भर्ती और प्रशिक्षण नीतियों को फिर से परिभाषित किया जाना चाहिए। बजट आवंटन में फैमिली बिजनेस को समर्थन देने वाली नौकरियों के लिए फिर से कौशल और अपस्किलिंग यदि होती है तो यह भारत में कौशल विकास तंत्र के लिए एक गेम-चेंजर होगा।”