पाकिस्तान बोला- वह परमाणु हथियारों के निषेध संबंधी संधि के तहत बाध्य नहीं
पाकिस्तान ने शुक्रवार को कहा कि वह परमाणु हथियारों के निषेध संबंधी संधि (TPNW) के तहत खुद को बाध्य नहीं मानता है। पिछले शुक्रवार को परमाणु हथियारों पर प्रतिबंध की संधि लागू हुई थी। कई प्रमुख परमाणु शक्तियों ने इसे समर्थन नहीं दिया। इसके बाद उसका यह बयान सामने आया है। पाकिस्तानी विदेश कार्यालय के प्रवक्ता जाहिद हाफिज चौधरी ने शुक्रवार को कहा कि यह संधि किसी भी तरीके से प्रथागत अंतरराष्ट्रीय कानून के विकास में योगदान नहीं देता है। पाकिस्तानी न्यूज चैनल डॉन के अनुसार नौ परमाणु संपन्न देश हैं, जिनमें रूस और अमेरिका के पास अधिकांश परमाणु हथियार हैं।
पाकिस्तानी प्रवक्ता ने तर्क दिया कि जुलाई 2017 में आपनाई गई इस संधि पर संयुक्त राष्ट्र निरस्त्रीकरण वार्ता मंचों के बाहर बातचीत की गई । परमाणु-सशस्त्र देशों में से किसी ने भी संधि की वार्ताओं में हिस्सा नहीं लिया, जो सभी हितधारकों के वैध हितों के खिलाफ है। जाहिद चौधरी ने आगे दावा किया कि कई गैर-परमाणु सशस्त्र देशों ने भी संधि में शामिल होने से परहेज किया है। उन्होंने कहा कि परमाणु निरस्त्रीकरण पर किसी भी पहल के लिए हर देश के महत्वपूर्ण सुरक्षा विचारों को ध्यान में रखा जाना महत्वपूर्ण है।
बता दें कि संयुक्त राष्ट्र के बैनर तले हुआ यह समझौता दुनिया से परमाणु हथियारों को पूरी तरह खत्म करने लक्ष्य को लेकर है। इसका उद्देश्य हिरोशिमा और नागासाकी पर हमले जैसी घटना को फिर से नहीं होने देना है। करीब दल साल के प्रयास के बाद अब परमाणु हथियार उन्मूलन समझौता अंतरराष्ट्रीय कानून बना है। यह समझौता जुलाई 2017 में संयुक्त राष्ट्र महासभा से स्वीकृति पा चुका है।कई देश इस समझौते में शामिल हैं और वे खुद परमाणु बम विकसित न करने के लिए संकल्पबद्ध हैं। वो यह भी मानते गैं कि मौजूदा वैश्विक स्थिति में लक्ष्य पाना बहुत मुश्किल है। 120 से ज्यादा दोशों ने इस पर सहमति जताई है। इनमें नौ देश शामिल नहीं, जो परमाणु हथियार संपन्न माने जाते है। ये देश अमेरिका, चीन, फ्रांस, भारत, रूस, ब्रिटेन, पाकिस्तान, उत्तर कोरिया और इजरायल हैं। नाटो भी इसमें शामिल नहीं है।