बदलती परिस्थितियों में अभेद्य प्रौद्योगिकी विकसित करने के अलावा कोई विकल्प नहीं : राजनाथ
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि बदलती विश्व व्यवस्था और परिस्थितियों में देश को निरंतर मजबूत बनाने के लिए अभेद्य प्रौद्योगिकी विकसित करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
राजनाथ सिंह ने रक्षा मंत्रालय के रक्षा उत्पादन विभाग के रक्षा उत्कृष्टता के लिए नवाचार – रक्षा नवाचार संगठन (आईडेक्स-डीआईओ) के डिफकनेक्ट 2.0 कार्यक्रम का शुक्रवार को यहां उद्घाटन करते हुए कहा , “ यह आयोजन हमारे देश की बढ़ती प्रौद्योगिकी शक्ति की राह में एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। आज समय और विश्व व्यवस्था जिस तरह बदल रही है हमारे पास इसके सिवाय कोई और विकल्प नहीं है कि हम स्वयं को लगातार मजबूत बनाएं। ”
उन्होंने कहा कि हर नयी चुनौती पिछली से अधिक जटिल तथा चुनौतिपूर्ण साबित हुई है। अभी कोरोना महामारी का अंत भी नहीं हुआ था कि यूक्रेन संकट खड़ा हो गया। इससे पहले पश्चिम एशिया, अफगानिस्तान और पाकिस्तान की घटनाओं का भी भारत पर असर पड़ा था। उन्होंने कहा कि अनेक ऐसी वैश्विक गतिविधियां हो रही हैं जो हमें प्रभावित कर रही हैं। इस तरह की परिस्थितियों में शांति और स्थिरता के लिए शक्तिशाली होना जरूरी है।
रक्षा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में प्रभुत्व का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा , “ रक्षा प्रौद्योगिकी की उपयोगिता और उसका किसी अन्य देश के पास न होना दोनों बातें बराबर मायने रखती हैं। यानी रक्षा प्रौद्योगिकी हमारे लिए कितनी उपयोगी हैं, यह तो महत्त्वपूर्ण है ही, साथ में वह दुनिया में अकेले हमारे पास हों, यह भी उतना ही महत्त्वपूर्ण है। ”
उन्होंने कहा कि इन बातों को ध्यान में रखते हुए यह जरूरी है कि हम नयी प्रौद्यागिकी की कल्पना कर उसे हासिल और डिफकनेक्ट 2.0 और आईडेक्स इसके लिए महत्वपूर्ण तथा अनोखा मंच उपलब्ध कराता है। उन्होंने कहा कि यह मंच रक्षा क्षेत्र के स्टार्टअप इकोसिस्टम में विकास की राह का मार्ग प्रशस्त करता है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि रक्षा खरीद परिषद ने आईडेक्स स्टार्ट अप्स से 380 करोड़ रूपये के 14 उत्पादों की खरीद को मंजूरी दी है। उन्होंने कहा कि सरकार ने स्टार्टअप और छोटी इकाईयों से खरीद के लिए एक नयी सरलीकृत और तेज प्रक्रिया को भी मंजूरी दी है। इस तरह से देश में रक्षा उद्योग को सशक्त बनाने के लिए एक इकोसिस्टम बनाया जा रहा है।
श्री सिंह ने कहा कि रक्षा क्षेत्र घरेलू उद्योग की भागीदारी को बढाने के लिए सरकार ने रक्षा व्यय का एक निश्चित हिस्सा घरेलू खरीद के लिए निर्धारित किया है। इसके अलावा रक्षा और अनुसंधान में भी उद्योगों की भागीदारी को बढाया जा रहा है।