बैंक में रकम जमाकर्ताओं की धनराशि से जुड़े जोखिम में आएगी कमी
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (डीआइसीजीसी) अधिनियम में संशोधन के प्रस्ताव को बीते माह मंजूरी दे दी थी। संसद के दोनों सदनों से पारित होने के बाद अब यह विधेयक कानून बन गया है। डीआइसीजीसी, भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्ण स्वामित्व वाली अनुषंगी इकाई है, जो बैंक जमा पर बीमा सुरक्षा देती है। संशोधित विधेयक के प्रविधानों के तहत बैंक डूबने की स्थिति में लोगों को पांच लाख रुपये तक की जमा राशि पर बीमा गारंटी दी जाएगी या बैंक के संकट में फसने पर जमाकर्ताओं को 90 दिनों के अंदर पांच लाख रुपये तक की अपनी जमा राशि को बैंक से निकालने की अनुमति होगी।
डीआइसीजीसी अधिनियम, 1961 में यह संशोधन इसलिए किया गया है, ताकि जमाकर्ताओं में अपने धन की सुरक्षा के बारे में विश्वास पैदा किया जा सके। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस अधिनियम में संशोधन की घोषणा एक फरवरी 2021 को आम बजट के दौरान की थी। उन्होंने कहा था कि अभी दबाव वाले बैंकों के जमाकर्ताओं को अपनी बीमित राशि और अन्य दावे पाने में एक दशक तक लग जाते हैं, लेकिन इस कानून को अमलीजामा पहनाने के बाद संकटग्रस्त बैंक के जमाकर्ताओं को 90 दिनों में अपनी जमा रकम मिल जाएगी। वर्ष 2019 के दौरान पंजाब एवं महाराष्ट्र कोआपरेटिव बैंक (पीएमसी) समेत 23 सहकारी बैंक संकट में आ गए थे, जिसके कारण जमाकर्ताओं को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ा था। अब इस संशोधन का तत्काल लाभ इन सहकारी बैंकों के ग्राहकों को मिलेगा। दरअसल पीएमसी बैंक के डूबने के बाद लाखों की संख्या में इस बैंक के ग्राहकों को वित्तीय दबाव का सामना करना पड़ा था। अभी भी भारतीय रिजर्व बैंक ने इस बैंक पर लगाई गई सभी पाबंदियों को नहीं हटाया है। पीएमसी संकट के बाद डीआइसीजीसी द्वारा बैंकों के जमाकर्ताओं को दिए जा रहे एक लाख रुपये के बीमा कवर को बढ़ाने की मांग की जा रही थी।