05 November, 2024 (Tuesday)

कभी अफीम का व्यापार करते थे जमशेदजी, पढ़ें टाटा एंपायर खड़ा करने की कहानी

तन टाटा का नाम तो भारत में सभी जानते हैं। बड़े ही सम्मान के साथ टाटा ग्रुप के मालिक रतन टाटा के नाम को लिया जाता है। टाटा ग्रुप जो भारत के हर अच्छे-बुरे दौर में सबसे आगे खड़ा रहा है। यह वो कंपनी है जिसके नाम पर कितने कैंसर अस्पताल व समाज कल्याण के काम होते हैं। दरअसल आज जमशेदजी टाटा की जयंती है। ऐसे में आज हम आपको भारतीय उद्योगों के पिता कहे जाने वाले जमशेदजी टाटा के बारे में बताने वाले हैं।

पिता के काम में बंटाया हाथ

जमशेदजी टाटा के पिता नौशरवांजी पारसी पादरियों के वंश में पहले व्यापारी हुए थे। जमशेदजी टाटा का जन्म 3 मार्च 1839 को नवसारी में हुआ था। 14 साल की आयु से ही वे अपने पिता के साथ काम में हाथ बंटाने लगे थे। इस दौरान उनकी पढ़ाई जारी थी। साल 1858 में जमशेदजी टाटा ने एल्फिस्टन कॉलेज से ग्रैजुएशन की और फिर पूरी तरह पिता के व्यापार से जुड़ गए। पिता की कंपनी की अलग-अलग शाखाएं कई देशों में थीं। नुसेरवानजी टाटा चीन में आमतौर पर जाया करते और अफीम का व्यापार करते थे। लेकिन भारत में 1857 में हुए स्वतंत्रता संग्राम की पहली लड़ाई के बाद व्यवसाय कर पाना मुश्किल हो गया था।

अफीम के बजाय चुना कपड़े का काम

नुसेरवानजी टाटा चाहते थे कि उनके बेटे जमशेदजी टाटा भी इस काम में उनका हाथ बटाएं और इसके लिए उन्होंने जमशेदजी को चीन भेजना चाहते थे ताकि जमशेदजी अफीम व्यापार के कामकाज को समझ सकें। लेकिन चीन जाने के बाद जमशेदजी ने कपड़े का व्यवसाय पकड़ लिया बगैर इसके कि वे अफीम व्यापार की बारीकियों को समझ सकें। उन्होंने चीन में पाया कि कपड़े के व्यापार का भविष्य है। 29 साल की आयु तक जमशेदजी ने अपने पिता की कंपनी में काम किया। लेकिन साल 1868 में उन्होंने अपनी एक कंपनी खोली जिसमें मात्र 21 हजार रुपये का निवेश किया। चिंचपोकली में उन्होंने दिवालिया तेल कंपनी के कारखाने को खरीद लिया और उसे रूई की फैक्ट्री में बदल दिया।

जमशेदजी टाटा का ख्वाब

इसके बाद जब उन्हें कपड़े के व्यापार में मुनाफा होने लगा तो उन्होंने नागपुर में भी रुई का कारखाना घोला और फिर कपड़े का कारखाना खोला। इसके बाद साल 1877 में उन्होंने नागपुर में एक और मिल खोल दी। बता दें कि जमशेदजी टाटा अपने जीवन में कुछ लक्ष्यों को पूरा करना चाहते थे। जिसमें पहला था एक विशेष तरह का होटल खोलना, एक स्टील कंपनी, एक वर्ल्ड क्लास ट्रेनिंग सेंटर और पानी से बिजली बनाने वाला प्लांट खोलना चाहते थे। जीते जी जमशेदजी टाटा केवल मुंबई में ताज होटल के निर्माण को ही देख सके। अगली पीढ़ी के लोगों ने जमशेदजी टाटा के सपनों को साकार किया और आज पूरी दुनिया में टाटा के नाम का बोलबाला है।

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