सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों को यूपी सरकार से मिल रही अनेक प्रकार की राहत
कोरोना की दूसरी लहर में उत्तर प्रदेश सरकार का माडल उद्योगों के लिए संजीवनी साबित हो रहा है। अनेक समस्याओं के बावजूद सरकार ने इंडस्टियल लाकडाउन नहीं किया। नए उद्यमियों ने इस त्रसदी में भी उद्यमिता का परिचय देते हुए एक अवसर की तलाश की। अनेक उद्यमियों ने आक्सीजन प्लांट, आक्सीजन कंसन्ट्रेटर जैसे उपकरणों का निर्माण शुरू किया। कोरोना संक्रमण की पहली लहर में मास्क और पीपीई किट बनाने का हमारे उद्यमियों ने भरपूर प्रयास किया था। इस बार आक्सीजन कंसन्ट्रेटर, थर्मल स्कैनर, यूवी चैंबर, वेंटीलेटर आदि उपकरण बनाने की दिशा में उद्यमियों का प्रयास ‘मेक इन इंडिया’ की परिकल्पना को साकार करता है। भविष्य में हम दवाओं, जीवन रक्षक उपकरणों का पर्याप्त निर्माण कर पाएंगे, जो आत्मनिर्भर भारत की दिशा में सार्थक कदम होगा।
कोरोना कफ्यरू के दौर में भी उद्योगों को आंशिक तौर पर छूट मिलने से उद्यमियों ने उत्पादन की प्रक्रिया को चालू रखा। इस दौर में खानपान की चीजों के उत्पादन पर कोई रोक नहीं होने के कारण फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में सरकार की मंशा के अनुरूप काफी काम आगे बढ़ा है। एक्सपोर्ट सेक्टर में कोरोना की दूसरी लहर में कोई विशेष फर्क नहीं पड़ा है। इस आपदा काल में सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि सर्विस सेक्टर में हुई है। अब आनलाइन एप के माध्यम से घरों में आवश्यक चीजों की आपूर्ति करने का प्रचलन बढ़ा है। संक्रमण में आइसोलेशन के कारण कोई भी व्यक्ति सामान्य रूप से बाहर निकलने से परहेज करता है, लेकिन उद्यमियों के प्रयास से अधिकांश वस्तुएं मसलन दवाएं, फल, सब्जी, घरेलू सामान आदि घर पर ही डिलीवर हो जाते हैं। इस प्रकार आइटी का प्रयोग करके सíवस सेक्टर में डोर स्टेप डिलीवरी से संबंधित व्यवसाय में काफी वृद्धि हुई है। इतना ही नहीं, जो उद्यमी विनिर्माण सेक्टर में कार्य करते थे, उन्होंने अपना विस्तार सíवस सेक्टर में किया है।
योगी सरकार ने नीति निर्धारण स्तर पर अनेक सार्थक कदम उठाए। इसके तहत पूर्व में स्थापित इकाइयों के उन्नयन, उद्यमियों की समस्याओं के निराकरण के लिए संवेदनशील, प्रशासकीय व्यवस्था देने और इज आफ डूइंग बिजनेस के लिए अनुकूल औद्योगिक परिवेश बनाने के तहत औद्योगिक भूखंडों के समय विस्तारण को सुगम बनाने का प्रयास किया गया। उद्यमियों को देरी से भुगतान अहम समस्याओं में से एक रही है। इस दिशा में उत्तर प्रदेश सरकार ने पहल करते हुए प्रदेश के सभी मंडलों में फेसिलिटेशन काउंसिल का गठन किया।
भूजल नीति के तहत उद्योगों को जल की उपलब्धता सुनिश्चित करने के क्रम में राज्य जल बोर्ड द्वारा जारी नियमावली में भूजल निष्कर्षण में एमएसएमई को किसी लाइसेंस की अनिवार्यता से मुक्त किया गया। इससे सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमियों को ईज आफ डूइंग बिजनेस के तहत राहत मिली है। यूपी सरकार ने प्रादेशिक औद्योगिक नीति 2020 का एक प्रस्ताव तैयार किया, जिसमें विभिन्न औद्योगिक संगठनों के माध्यम से इस विषय पर सुझाव मांगे गए। प्रदेश के सभी औद्योगिक क्षेत्रों की समीक्षा करते हुए खाली पड़े औद्योगिक भूखंडों को नए उद्यम को उपलब्ध कराने की दिशा में प्रयास शुरू किए गए हैं। राज्य में औद्योगिक निवेश बढ़ाने के लिए सरकार निरंतर प्रयासरत है।