जम्मू कश्मीर पर बुलाई केंद्र की सर्वदलीय बैठक में क्या उठ सकते हैं मुद्दे
नई दिल्ली। कश्मीर को लेकर गुरुवार को राजनीतिक हलचल काफी तेज हो गई है। इसकी वजह कश्मीर के मुद्दे पर पीएम मोदी के नेतृत्व में होने वाली एक बैठक है। इस बैठक में राज्य के करीब दर्जन भर नेता शामिल हो रहे हैं। ऐसे में अनुच्छेद 370 को लेकर भी अटकलें बढ़ गई हैं। हालांकि केंद्र की तरफ से इस बैठक को लेकर ज्यादा कुछ खुलासा नहीं किया गया है, लेकिन माना जा रहा है कि इस बैठक में राज्य के ताजा हालातों पर जहां केंद्र अपनी स्थिति साफ करेगा वहीं राज्य के नेताओं के भी विचारों को जानने और समझने की कोशिश करेगा। इसमें राज्य के नेताओं समेत पूर्व पीएम मनमोहन सिंह और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, एनएसए अजित डोभाल, समेत अन्य अधिकारी भी शामिल होंगे। जानें इससे जुड़ी कुछ खास बातें:-
दोपहर तीन बजे से होने वाली इस बैठक को लेकर माना ये भी जा रहा है कि इसमें वहां पर विधानसभा चुनावों को लेकर भी विचार विमर्श किया जा सकता है। आपको बता दें कि वर्ष 2018 के बाद से ही राज्य में कोई चुनी सरकार नहीं है। यहां पर फिलहाल राष्ट्रपति शासन है। मौजूदा वर्ष में यहां पर सीडीसी के चुनाव हुए थे।
यहां पर विधानसभा चुनाव को टालने की एक बड़ी वजह यहां पर किया जा रहा परिसीमन भी है। आपको बता दें कि जम्मू कश्मीर से लद्दाख को अलग किए जाने के बाद इसकी जरूरत को महसूस किया गया था। फिलहाल दोनों ही केंद्र शासित प्रदेश हैं। बुधवार को ही परिसीमन ग्रुप की भी बैठक हुई थी। इस बैठक में जम्मू कश्मीर के 20 डिप्टी कमिश्नर ने हिस्सा लिया था।
आपको बता दें कि जम्मू कश्मीर की संवैधानिक स्थिति में बदलाव होने के बाद से यहां पर विधानसभा की सीट भी बढ़ी हैं। आने वाले चुनाव में यहां की करीब 90 सीटों पर चुनाव संपन्न हो सकेगा।
आज होने वाली बैठक में राज्य के आंतरिक मसलों पर भी वार्ता होगी। इसके अलावा कहीं न कहीं इस बैठक में अफगानिस्तान में अमेरिका की गैर मौजूदगी की सूरत में राज्य के बढ़ते खतरे पर भी विचार विमर्श किया जाएगा।
इस बैठक में शामिल होने वाले जम्मू कश्मीर के नेताओं में से कई ऐसे भी हैं जो अनुच्छेद 370 की मांग उठाते रहे हैं। माना जा रहा है कि वो इस मुद्दे को इस बैठक में भी जरूर उठाएंगे।
आपको बता दें कि जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म करने के बाद से ही राज्य के नेता ये आरोप लगाते रहे हैं कि उनकी बात केंद्र नहीं सुन रहा है। ऐसे में ये बैठक उनकी इस नाराजगी को पूरी तरह से खत्म करने में सहायक साबित होने वाली है। खास बात ये भी है कि इस बैठक का केंद्र ने खुद आह्वान किया है।