02 November, 2024 (Saturday)

मार्च के बाद भारत में खत्म हो जाएगी कोरोना की महामारी, जानें तीसरी लहर के आंकड़ों पर विशेषज्ञों की राय

मार्च के बाद भारत में कोरोना महामारी खत्म हो सकती है। संक्रमण से जुडे़ आंकड़े इसके साफ संकेत दे रहे हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों का मानना है कि तीसरी लहर मार्च में पूरी तरह समाप्त हो जाएगी और चौथी लहर के आने की आशंका बहुत कम है। वैसे कोरोना के नए वैरिएंट के कारण कम टीकाकरण वाले देशों में कहीं-कहीं महामारी की नई लहर देखने को मिल सकती है। स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि तीसरी लहर के आंकड़ों से मार्च के अंत तक शताब्दी की इस महामारी से निजात मिलने के संकेत मिल रहे हैं। उनके अनुसार भारत में तीसरी लहर की तीव्रता के बावजूद उसके ज्यादा घातक नहीं होने के ठोस वैज्ञानिक कारण हैं और वही कारण भविष्य में चौथी लहर को रोकने में भी मददगार साबित होंगे।

उन्होंने कहा कि तीसरी लहर के दौरान भारत में दुनिया के अन्य देशों की तुलना में संक्रमितों की कम संख्या, उन्हें अस्पताल में भर्ती कराने की कम जरूरत और कम मौतों के पीछे भारत में बड़ी आबादी में बनी हाईब्रिड इम्यूनिटी जिम्मेदार है। तीसरी लहर के बाद यह हाइब्रिड इम्यूनिटी और भी ज्यादा मजबूत हुई है। दरअसल कोरोना से बचाव में दो तरह की इम्यूनिटी काम आती है। एक तो सामान्य संक्रमण के बाद व्यक्ति के शरीर में इम्युनिटी बनती है, जो भविष्य में संक्रमण से बचाव में काम आती है। दूसरी वैक्सीन के कारण भी शरीर में कोरोना के खिलाफ इम्युनिटी बनती है। यदि किसी व्यक्ति में वैक्सीन और सामान्य संक्रमण दोनों तरीके से इम्यूनिटी बनती है, तो उसे हाइब्रिड इम्यूनिटी कहा जाता है।वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार दुनिया भर में वैज्ञानिक रूप से यह साबित हो चुका है कि हाइब्रिड इम्यूनिटी कोरोना से बचाने में सबसे अधिक कारगर है। भारत की स्थिति देंखे तो पिछले साल मार्च में शुरू हुई दूसरी लहर के दौरान वैक्सीन से बनी इम्युनिटी बहुत कम लोगों में थी। इसी तरह पिछले साल जनवरी में हुए सिरो सर्वे से पता चला था कि सिर्फ सात फीसद लोग ही पहली लहर में संक्रमित हुए थे। यानी दूसरी लहर के पहले देश में 93 फीसद आबादी ऐसी थी, जो आसानी से कोरोना की चपेट में आ सकती थी। दूसरी लहर के ज्यादा घातक होने के पीछे यह एक बड़ी वजह रही। लेकिन दूसरी लहर के बाद हुए जून में हुए सिरो सर्वे में पाया गया कि 67 फीसद लोग यानी दो-तिहाई आबादी कोरोना से संक्रमित हो चुकी थी। वहीं जुलाई से टीकाकरण अभियान में बड़े पैमाने पर टीके लगाए गए। अब तक देश में 15 साल से अधिक उम्र के 70 फीसद व्यक्ति को दोनों डोज लग चुका है और 90 फीसद आबादी को कम से कम एक डोज टीका लग चुका है। तीसरी लहर के बाद अभी तक सिरो सर्वे नहीं कराया गया है, लेकिन माना जा रहा है कि डेल्टा वैरिएंट की तुलना में पांच गुना अधिक संक्रामक ओमिक्रोन वैरिएंट के कारण लहर में अधिकांश लोगों के नए सिरे से संक्रमित हुए होंगे। इस तरह से देश की अधिकांश आबादी हाइब्रिड इम्यूनिटी से लैस हो चुकी है।

भविष्य में कोरोना के ज्यादा संक्रामक वैरिएंट आने की आशंका के बावजूद चौथी लहर की संभावना कम होने की वजह पूछे जाने पर वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अधिकांश लोगों में पहले से मौजूद हाइब्रिड इम्युनिटी भविष्य में भी किसी भी वैरिएंट के खिलाफ बचाव में कारगर होगी। इसके अलावा उन्होंने 1918 में आए स्पेनिश फ्लू का उदाहरण दिया। स्पेनिश फ्लू की भी दूसरी लहर सबसे घातक साबित हुई थी, लेकिन तीसरी लहर के बाद कोई चौथी लहर नहीं आई थी। जबकि उस समय स्पेनिश फ्लू के खिलाफ कोई टीका भी नहीं था। उन्होंने कहा कि स्पेनिश फ्लू का वायरस आज भी मौजूद है और उसके नए -नए वैरिएंट आते रहते हैं, लेकिन वह घातक नहीं है। इसी तरह से कोरोना वायरस भी हमेशा मौजूद रहेगा और उसके नए-नए वैरिएंट भी आते रहेंगे, लेकिन उसके महामारी का रूप धारण करने की आशंका नहीं रहेगी।

Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *