अलसी के तने से धागा निकालने की नई तकनीक का किया इजाद।



कानपुर। चंद्र शेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने अलसी के तने से धागा निकालने की नई तकनीक का विकास किया है। अलसी फसल उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड की रबी मौसम की प्रमुख फसल है। जो मुख्यतय: तेल प्राप्त करने हेतु उगाई जाती है। वर्तमान में अलसी फसल का देश में 7.98 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल है। जबकि उत्तर प्रदेश में 0.28 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल तथा प्रदेश में उत्पादन 0.18 लाख मैट्रिक टन है। अलसी फसल के मूल्य संवर्धन हेतु विश्वविद्यालय द्वारा अनेक प्रयास किए गए जिनमें अलसी के तेल देने के साथ-साथ रेशा देने वाली प्रजातियों का विकास किया गया । जैसे शिखा, रुचि, रश्मि, पार्वती, गौरव,राजन आदि प्रमुख उन्नतशील प्रजातियां हैं जो द्विउद्देशेय है। अलसी के दाने में पोषक तत्व भरपूर होने के कारण मूल्य संवर्धन एवं अलसी से रेशा प्राप्त करने की तकनीकी का विकास किया गया । अलसी फसल के तनो से रेशा निकालने में विश्वविद्यालय ने कई परीक्षण किए। पूर्व तकनीकी के अनुसार अलसी के तने से सामान्य रेटिंग विधि से धागा निकालने में 7 से 10 दिन का समय लगता था। अब विश्वविद्यालय के टेक्सटाइल एवं क्लॉथिंग विभाग में सेवारत वैज्ञानिक डॉ रितु पांडे द्वारा धागा निकालने की विधि एवं समय कम करने पर कई परीक्षण किए गए। जिसमें धागे की गुणवत्ता भी प्रभावित न हो यह भी ध्यान रखा गया है। इसी कड़ी में एक बड़ी सफलता हासिल हुई है जिसमें जेल रेटिंग तकनीकी से धागा निकालने की विधि में सिर्फ 4 या 5 घंटे बाद धागा निकाला जा सकता है। और धागे की गुणवत्ता भी प्रभावित नहीं होती है। इस तकनीकी का पेटेंट कार्यालय भारत सरकार द्वारा पेटेंट प्रदान किया गया है। निदेशक शोध डॉ एच जी प्रकाश ने बताया कि इस विधि से अलसी के तनो से कम समय में धागा निकाला जा सकता है। जिससे अलसी उत्पादक किसान वह धागा निकालने वाले उद्यम लाभान्वित होंगे। कुलपति डॉक्टर डी.आर.सिंह ने कहा कि जेल रेटिंग बिधि से अलसी के तने से धागा निकालने की तकनीकी का पेटेंट होने से विश्वविद्यालय के लिए गौरव की बात है।इस शोध से जुड़े सभी वैज्ञानिकों को कुलपति ने शुभकामनाएं दी हैं।