जानें- रूस से होने वाली बातचीत में यूक्रेन की कौन सी हैं दो बड़ी शर्त, इन पर क्या तैयार होगा रूसी प्रतिनिधिमंडल
रूस और यूक्रेन के बीच कुछ देर के बाद शांति वार्ता होने वाली है। इसके लिए जहां रूस का प्रतिनिधि मंडल बेलारूस के शहर गोमेल पहुंच चुका है वहीं यूक्रेन का प्रतिनिधि मंडल भी बेलारूस की सीमा में आ चुका है। गोमेल में इस वार्ता की पूरी तैयारी की जा चुकी है। लेकिन इस वार्ता से पहले ही यूक्रेन के राष्ट्रपति कार्यालय की तरफ से कहा गया है कि इस वार्ता में यूक्रेन पूरी तरह से सीजफायर चाहता है। साथ ही कहा गया है कि वो ये भी चाहता है कि रूसी सेना पूरी तरह से उनके देश से बाहर चली जाए। बता दें कि यूक्रेन सरकार के अनुसार रूसी अभियान के परिणामस्वरूप पहले से ही बम विस्फोटों, गोलाबारी आदि से 16 बच्चे मारे जा चुके हैं।
यूक्रेन की लगाई इस शर्त पर रूस मानेगा या नहीं इस बारे में फिलहाल कहपाना काफी मुश्किल है। ऐसा इसलिए है क्योंकि रूस वार्ता को लेकर पहले ही ये बात साफ कर चुका है कि इसकी सफलता कुछ बातों पर ही तय होगी। रूस की शर्तों के मुताबिक यूक्रेन को एक न्यूट्रल स्टेट घोषित करना होगा। यूक्रेन और उसके कुछ अन्य साथी नाटो के सदस्य नहीं बनेंगे। यूक्रेन को क्रीमिया, लुहांस्क और डोनेत्सक को रूस के अधिकार क्षेत्र में स्वीकार करना होगा। ऐसे में ये वार्ता कितनी सफल होगी कहना मुश्किल है।
हालांकि रूस की विदेश नीति जानने वाले जवाहरलाल नेहरू के प्रोफेसर संजीव कुमार का कहना है कि इस वार्ता में रूस का ही पलड़ा भारी रहेगा। उनके मुताबिक ये भी हो सकता है कि रूस यूक्रेन को एक आजाद राष्ट्र की मान्यता देने से भी इनकार कर दे। प्रोफेसर पांडे के मुताबिक रूस यूक्रेन से अपनी सेना के पीछे हटने की शर्त पर राजी हो सकता है बशर्ते यूक्रेन इस बात की गारंटी दे कि वो नाटो का सदस्य नहीं बनेगा।
गौरतलब है कि भारत में मौजूद यूक्रेन के राजदूत डाक्टर इगोर पोलिखा ने कहा है कि उनके देश के हालात बेहद नाजुक हैं। उन्होंने यहां तक कहा है कि यदि जंग नहीं रुकी तो यूक्रेन के शरणार्थियों की संख्या 4 लाख से बढ़कर 70 लाख तक पहुंच जाएगी। देश छोड़ने वालों की सीमा पर बहुत लंबी लाइन लगी है।