जानें, महाभियोग प्रस्ताव पर वोटिंग के बीच राष्ट्रपति ट्रंप ने क्यों तोड़ी अपनी चुप्पी, जानें क्या है उनकी बड़ी रणनीति
लंबी चुप्पी के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि अमेरिकी संसद में हुई हिंसा में उनका कतई हाथ नहीं है। ट्रंप ने संसद भवन में हिंसक भीड़ के घुसने संबंधी घटना की जिम्मेदारी लेने से इंकार कर दिया है। उनका यह बयान ऐसे समय आया है, जब उन पर महाभियोग के साथ आपराधिक मामला दर्ज होने का खतरा मंडरा रहा है। बता दें कि कैपिटल हिल में बवाल के बाद व्हाइट हाउस के कानूनी सलाहकार पैट सिपोलोन ने ट्रंप से कहा था कि दंगा भड़काने को लेकर उन्हें कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। इस लिए यह माना जा रहा है कि ट्रंप की इस चुप्पी तोड़ने के पीछे एक सोची समझी रणनीति है। आइए जानते हैं इस मुद्दे पर विशेषज्ञ की राय।
महाभियोग के कारण अमेरिका के लोगों में जबरदस्त गुस्सा
राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने खिलाफ लाए गए महाभियोग प्रस्ताव पर कहा कि इस कारण अमेरिका के लोगों में जबरदस्त गुस्सा है। राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि वे (डेमोक्रेटिक) जो कर रहे हैं, वह काफी बुरी बात है। उन्होंने कहा कि हम हिंसा नहीं चाहते हैं, कभी नहीं। उन्होंने कहा कि मैं नहीं चाहता कि कोई हिंसा हो। उनका यह बयान ऐसे समय आया है जब अमेरिकी संसद में ट्रंप के खिलाफ लाए गए महाभियोग के प्रस्ताव पर वोटिंग होनी है। ट्रंप ने मेक्सिको की सीमा पर बन रहे दीवार का निरीक्षण करने के लिए टेक्सास रवाना होने से पहले कहा कि वे जो कर रहे हैं, यह वास्तव में बहुत भयानक बात है। हम चाहते हैं कि कोई हिंसा न हो। कभी हिंसा न करें। ट्रंप का सीधा इशारा हाल में ही एफबीआई और यूएस नेशनल गार्ड की हिंसा के आशंका वाले बयान के तरफ है। ट्रंप ने राजधानी वॉशिंगटन में 24 जनवरी तक के लिए आपातकाल का ऐलान किया है।
ट्रंप की चुप्पी तोड़ने के पीछे क्या है रणनीति
प्रो. हर्ष पंत (आबसर्वर रिसर्च फाउंडेशन) का कहना है कि राष्ट्रपति ट्रंप की चुप्पी तोड़ने के पीछे एक सोची समझी रणनीति है। गौरतलब है कि महाभियोग के बाद ट्रंप पर आपराधिक मामले के तहत कार्रवाई के संकेत हैं। पहले यह कयास लगाए जा रहे थे कि इस पूरे मामले में ट्रंप माफी मांग सकते हैं, लेकिन उन्होंने अपनी रणनीति बदल दी है। अब वह इस घटना पर माफी मांगने के बजाए इस हिंसा में हाथ नहीं होने से इंकार कर रहे हैं। हालांकि, उनके चुप्पी तोड़ने के पूर्व यह माना जा रहा था कि ट्रंप के पास अपने को माफ करने का अधिकार है। अमेरिकी राष्ट्रपति का यह अधिकार इस बात में निहित है कि उसे अपराधी को माफ करने का अधिकार है। लेकिन राष्ट्रपति के इस अधिकार को खुद के लिए इस्तेमाल करने को पर संशय कायम था। इस पर कोई नया विवाद होता, इसके पूर्व ही राष्ट्रपति ट्रंप ने अपना स्टैंड क्लीयर कर दिया है।
प्रो पंत का कहना है कि उनका मानना है कि माफी मांगने में एक बात प्रमाणित हो जाती है कि उन्होंने अपराध को कबूल कर लिया है। इसके बाद यह गेंद सुप्रीम कोर्ट के पाले में जा सकती है, लेकिन उन्होंने हिंसा में हाथ होने के इंकार करने से पूरे मामले पर अपना पक्ष क्लीयर कर दिया। अगर अब यह मामला आगे बढ़ता है तो डेमोक्रेट्स को सिद्ध करना होगा कि इस हिंसा के पीछे ट्रंप का किस तरह से हाथ है।