महाराष्ट्र में विधि विश्वविद्यालय स्थापित करने की जरूरतः न्यायाधीश ओका
उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश अभय एस ओका ने महाराष्ट्र में विधि विश्वविद्यालय स्थापित करने की आवश्यकता को रेखांकित किया है।
महाराष्ट्र और गोवा के बार काउंसिल तथा ठाणे के जिला अदालत बार एसोसिएशन द्वारा गुरूवार को संयुक्त रूप से आयोजित एक दिवसीय बार लीडर्स सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए, उन्होंने कहा कि राज्य में अदालतों को मजबूत बनाने और बेहतर निर्णय देने के लिए उचित कानूनी प्रशिक्षण आवश्यक है और यह तभी संभव होगा, जब राज्य में विधि विश्वविद्यालय मौजूद हो।
उन्होंने इस मामले में कर्नाटक और तमिलनाडु में ऐसे विश्वविद्यालयों का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि कानूनी शिक्षा ग्रहण करने वाले वकील, न्यायाधीश, कानूनी अधिकारी और कानूनी प्रशिक्षण कर्मी भी बन सकते हैं।
उनका मानना है कि महाराष्ट्र देशभर में न्यायिक बुनियादी ढांचे में नंबर एक बने और अगर अगले चार-पांच वर्षों में बेहतर सुविधाएं प्रदान की जाती हैं, तो तस्वीर बदल जाएगी।
उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के 48 मुख्य न्यायाधीशों में से नौ न्यायाधीश महाराष्ट्र से हैं। इसके साथ ही 15 अटॉर्नी जनरलों में से पांच इसी प्रदेश से हैं और 22 सॉलिसिटर जनरलों में से छह महाराष्ट्र से हैं। वर्ष 2025 तक शीर्ष अदालत के तीन और मुख्य न्यायाधीश महाराष्ट्र से होंगे। राज्य में आईटी बुनियादी ढांचे और अदालतों को मजबूत बनाना होगा।