काशी में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, स्वतंत्रता के इतिहास में आध्यात्मिक धारा का जिक्र कम
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि अपनी परंपराओं का विस्तार समय की मांग है। देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, लेकिन भारत की आजादी के इतिहास में आंदोलन की आध्यात्मिक धारा वैसी दर्ज नहीं हो सकी, जैसी होनी चाहिए थी। यह समय है कि इस धारा को सामने लाया जाए और नई पीढ़ी को इससे परिचित कराया जाए। वह मंगलवार को वाराणसी के उमरहां में स्वर्वेद महामंदिर धाम के समीप आयोजित विहंगम योग संत समाज के 98वें वार्षिकोत्सव में उपस्थित सद्गुरु सदाफलदेव जी महाराज के अनुयायियों को संबोधित कर रहे थे।
प्रधानमंत्री ने देशवासियों से अपील की कि जो संपन्न हैं, वे निर्धन घरों की बेटियों को पढ़ाने और उनके कौशल विकास में सहयोग करें। बोले-‘भारत के लिए स्वराज्य भी महत्वपूर्ण है और सुराज भी।’ प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत इतना अद्भुत है कि जब भी यहां समय विपरीत हुआ है, संत विभूतियों ने जन्म लेकर धारा को मोड़ने का प्रयास किया है। भारत ही वह देश है, जो स्वतंत्रता आंदोलन के अपने सबसे बड़े नायक को ‘महात्मा’ पुकारता है। यहां राजनीतिक आंदोलन में भी हमेशा आध्यात्मिक चेतना की धारा बहती रही। सदाफलदेव जी के अवदान को भी उन्होंने रेखांकित किया। बताया कि असहयोग आंदोलन के दिनों में सदाफलदेव जी को जेल यात्रा करनी पड़ी थी और कारावास में ही ‘स्वर्वेद’ के विचारों पर मंथन किया था।
संकल्प लेने को कहा
मोदी ने लोगों को संकल्प लेने को प्रेरित किया। कहा-‘आज विश्व आर्गेनिक फार्मिग की ओर लौट रहा है। भारत में भी इसे मिशन बनाना होगा। गोवंश ग्रामीण अर्थव्यवस्था का स्तंभ बने, इसका सतत प्रयास है। हमें गंगा नदी व अन्य जलस्रोतों को साफ रखना होगा। सार्वजनिक स्थल को भी साफ रखना होगा और परमात्मा के नाम सेवा कार्य करना होगा।’ उन्होंने संत सदाफलदेव की उक्ति को रेखांकित किया- ‘दया करे सब जीव पर, नीच-ऊंच नहीं जात.. जै कै अहं आत्मा, त्याग दे अभिमान..’। कहा कि ‘मैं’ और ‘मेरा’ से ऊपर उठकर सबका साथ-सबका विकास और सबका विश्वास पर वह भरोसा करते हैं। सदाफल देवजी का सपना था कि योग पूरी दुनिया में पहुंचे और आज जब विश्व योग दिवस पर संपूर्ण विश्व को योग मनाते देखते हैं तो लगता है कि उनका ही आशीर्वाद फलीभूत हुआ। उन्होंने स्वदेशी का सपना देखा था।
स्वर्वेद प्राणों की विधा है और प्राणायाम उसका भाग तो योग संपूर्ण विज्ञान
आत्मनिर्भर भारत के तहत ‘लोकल को ग्लोबल’ बनाकर ही इस ध्येय को पाया जा सकता है। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि स्वर्वेद प्राणों की विधा है और प्राणायाम उसका भाग तो योग संपूर्ण विज्ञान। वैश्विक फलक पर योग दिवस के आयोजन के लिए उन्होंने प्रधानमंत्री के प्रति कृतज्ञता अर्पित की। योगी ने सदाफलदेवजी के अवदानों को भी याद किया। इस अवसर पर राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, केंद्रीय उद्योग मंत्री महेन्द्रनाथ पांडेय, उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री अनिल राजभर व अन्य उपस्थित थे।
गीता जयंती की शुभकामनाएं दीं
प्रधानमंत्री ने लोगों को गीता जयंती की शुभकामनाएं दीं। बोले, मंगलवार को गीता जयंती है। कुरुक्षेत्र में जब दोनों ओर की सेना मानवता के संहार को जुटी थी तभी भगवान कृष्ण ने अध्यात्म, योग और परमात्मा के परम ज्ञान का उपदेश दिया। सदाफलदेव जी ने भी समाज के जागरण के लिए विहंगम योग को जन-जन तक पहुंचाने के लिए यज्ञ किया था। उनका संकल्प आज वटवृक्ष का रूप ले चुका है।