पश्चिमी देशों को जयशंकर का करारा जवाब- भारत अपने स्टैंड पर कायम, आप अपना देखें…
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रूस यूक्रेन युद्ध को लेकर भारत के रुख पर सवाल उठाने वालों को सीधा जवाब दिया है. उन्होंने कहा कि पश्चिम को भारत के इसी रवैये के साथ जीना होगा. विदेश मंत्री ने कहा कि भारत भी अफगानिस्तान और पाकिस्तान के मुद्दों पर मतभेदों के बावजूद पश्चिम के साथ काम करता रहा है. उन्होंने पश्चिम को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि अगर भारत का ये रुख आपकी उम्मीदों के मुताबिक नहीं है तो ये आपकी समस्या है. विदेश मंत्री ने कहा कि रूस यूक्रेन मुद्दे पर भारत ने काफी गंभीर रुख अपनाया है.
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि पिछले 9 महीनों में भारत के रुख का सम्मान किया गया, और अपने क्रेडिबल पॉजिशन के साथ भारत भी रूस यूक्रेन युद्ध खत्म करने का समर्थक है, और दूसरों के साथ काम करना चाहता है. विदेश मंत्री जयशंकर ने यह बातें एक निजी टीवी चैनल के प्रोग्राम में कही. क्वाड के बारे में पूछे जाने पर विदेश मंत्री ने कहा कि क्वाड को कभी भी इस उद्देश्य से नहीं बनाया गया था कि किसी मुद्दे पर सभी युनाइटेड रहें. उन्होंने यह भी साफ किया कि, अगर क्वाड देशों की भारत से कुछ एक्सपेक्टेशन थीं भी तो भारत की भी कुछ एक्सपेक्टेशंस हैं.
पश्चिम को विदेश मंत्री ने दिया करारा जवाब
विदेश मंत्री जयशंकर ने पाकिस्तान वित्तपोषित आतंक की चर्चा किए बगैर कहा कि भारत भी आए दिन पड़ोसी के साथ आतंक की समस्या झेलता है, इस मुद्दे पर वे सभी एक क्यों नहीं होते? विदेश मंत्री ने यह भी पूछा कि आतंकवाद पर क्वाड की एकताई कहां है, जो कि बहुत पुरानी समस्या है. क्वाड इंडो-पैसिफिक की समस्याओं से निपटने और सभी के एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करने के उद्देश्य से बनाया गया था. विदेश मंत्री ने पश्चिम को भारत का रुख स्पष्ट करते हुए कहा कि “आपने यूक्रेन को चुना. हम पाकिस्तान और अफगानिस्तान को चुन सकते थे और पूछ सकते थे कि वे भारत के रुख का समर्थन क्यों नहीं कर रहे.”
विपक्ष के आरोपों का भी जयशंकर ने दिया जवाब
विदेश मंत्री जयशंकर ने विपक्ष के उन आरोपों का भी जवाब दिया, जहां वे कहते रहे हैं कि चीन पर पीएम मोदी ने सख्ती नहीं दिखाई. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री अपने कामों में स्पष्ट थे. विदेश मंत्री ने कहा कि चीन के साथ सीमा पर भारत जिन कुछ समस्याओं का सामना कर रहा है, वह 1962 के युद्ध में हार के कारण है. हमने पहले सीमा के बुनियादी ढांचे का विकास नहीं किया. हम सुधारों को लागू करने में भी 15 साल की देरी कर चुके हैं.’