22 November, 2024 (Friday)

भारत में क्‍या अब खत्‍म हो रही है कोरोना महामारी, और यूएस में क्‍यों बेतहाशा बढ़े मामले, जानें- इस सवाल पर क्‍या है विशेषज्ञ की राय

भारत में जहां कोरोना के मामले एक बार फिर कम होते दिखाई दे रहे हैं वहीं दुनिया के दूसरे देशों में लगातार ये चिंता का कारण बने हुए हैं। अमेरिका इनमें सबसे आगे है। वहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन के यूरोप के निदेशक हंस क्लूज का मानना है कि ओमिक्रोन वैरिएंट की वजह से ये महामारी एक नए चरण में पहुंच गई है। हालांकि उन्‍होंने ये भी कहा है कि हम इस महामारी के अंत की तरफ बढ़ रहे हैं। हंस ने एक और बेहद महत्‍वपूर्ण बात कही है कि इस वर्ष के अंत तक महामारी के पूरी तरह से खत्‍म होने से पहले ये एक बार फिर से जोर पकड़ सकती है। एएफपी से बातचीत में क्‍लूज ने कहा है मार्च तक यूरोप में ओमिक्रोन से करीब 60 फीसद तक लोग संक्रमित होंगे। इसके बाद यहां पर मामले कम हो जाएंगे। साथ ही लोगों में हर्ड इम्‍यूनिटी भी विकसित हो जाएगी।

वहीं यदि भारत के संदर्भ में बात की जाए तो वैश्विक स्‍तर पर संयुक्‍त राष्‍ट्र से लेकर विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन भी इस बात को कह चुका है कि भारत में आई तीसरी लहर में दूसरी लहर जैसी ही स्थिति देखने को मिल सकती है। लेकिन फिलहाल ऐसा दिखाई नहीं दे रहा है। दिल्‍ली के यूनिवर्सिटी कालेज आफ मेडिकल साइंस में कम्‍यूनिटी मेडिसिन की डायरेक्‍टर प्रोफेसर प्रगति छाबड़ा का मानना है कि जनवरी और फरवरी बेहद खास हैं और इसमें देश में महामारी का चरम और इसमें गिरावट सामने आ जाएगी। उनका कहना है कि वो भी इसी ट्रेंड पर विश्‍वास करती हैं। जिस तरह से देश में मामले सामने आ रहे हैं वो भी इसी तरफ इशारा कर रहे हैं।

देश में सामने आए ताजा मामले बताते हैं कि महामारी की दूसरी लहर के दौरान जिन राज्‍यों में जबरदस्‍त प्रकोप था वहां पर अब ऐसा नहीं है। हालांकि कुछ दूसरे राज्‍यों में मामले जरूर बढ़ रहे हैं। प्रोफेसर छाबड़ा ने हंस क्‍लूज के बयान पर जवाब देते हुए कहा कि हमें हमेशा इसको लेकर चौकस रहना होगा और कोरोना की रोकथाम को बनाए नियमों को मानना होगा।

उन्‍होंने ये भी कहा कि भारत और अफ्रीका में काफी समानताएं देखने को मिलती हैं। वहां पर मामलों में कमी आई है। ठीक इसी तरह से भारत में भी कोरोना के मामलों में कमी आ सकती है।इसके बावजूद भी इस लहर के दौरान मामले भी आ रहे हैं और मरीजों को आक्‍सीजन पर रखना पड़ रहा है। इसलिए रिस्‍क भी बरकरार है। लेकिन ये सही है कि ये पहले की तुलना में काफी कम है और इस बार जान का जोखिम भी कम देखने को मिल रहा है।

अमेरिका में बेतहाशा बढ़ रहे मामलों पर उन्‍होंने कहा कि वहां पर लोगों की लापरवाही काफी भारी पड़ी है। इसके अलावा भी अमेरिका और भारत में कई तरह की भिन्‍नताएं हैं जिसकी वजह से वहां पर मामले बढ़े हैं। अमेरिका में मामलों के बढ़ने की एक बड़ी वजह वैक्‍सीनेशन की कम रफ्तार भी है।

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