23 November, 2024 (Saturday)

हाइड्रोजन की लागत प्रति किलोग्राम एक डालर से होगी कम : अंबानी

रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) के चेयरमैन मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) ने शुक्रवार को कहा कि उनकी कंपनी वर्ष 2030 तक नवीकरणीय स्त्रोतों से कम से कम 100 गीगावाट बिजली उत्पादन की क्षमता हासिल करेगी, जिसे कार्बन मुक्त ग्रीन हाइड्रोजन में बदला जा सकेगा। उन्होंने अगले एक दशक में हाइड्रोजन की लागत प्रति किलोग्राम एक डालर से नीचे लाने के लिए 1-1-1 का विजन भी पेश किया।

दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन करने वाला देश भारत 

भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन करने वाला देश है। सौर और पवन जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्त्रोतों से बिजली पैदा कर देश को कार्बन उत्सर्जन घटाने में मदद मिलेगी। अंबानी ने अंतरराष्ट्रीय जलवायु शिखर सम्मेलन, 2021 में कहा कि रिलायंस ग्रीन हाइड्रोजन बनाने की लागत को शुरू में दो डालर प्रति किलोग्राम से नीचे और फिर एक दशक में एक डालर से नीचे लाने के लक्ष्य पर काम करेगी। इससे भारत को ग्रीन हाइड्रोजन के लिए एक दशक में एक डालर प्रति (1) किलोग्राम यानी 1-1-1 का लक्ष्य हासिल करने वाला दुनिया का पहला देश बनने में मदद मिलेगी।

वर्ष 2030 तक 450 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा का लक्ष्य

नवीकरणीय संसाधनों से उत्पादित ग्रीन हाइड्रोजन की लागत तीन डालर से 6.55 डालर प्रति किलोग्राम के बीच होती है। उन्होंने कहा कि सूर्य की पर्याप्त रोशनी के साथ भारत केवल 0.5 फीसद भूभाग पर 1,000 गीगावाट से अधिक सौर ऊर्जा का उत्पादन कर सकता है। और देश ने पहले ही 100 गीगावाट स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता हासिल कर ली है और दिसंबर, 2022 तक 175 गीगावाट का लक्ष्य हासिल होता स्पष्ट दिख रहा है। इसके अलावा देश ने वर्ष 2030 तक 450 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा का लक्ष्य रखा है।

अंबानी ने कहा कि रिलायंस इस दशक के अंत से पहले आक्रामक रूप से इस लक्ष्य का पीछा करेगी और इसे हासिल कर लेगी। मुझे यकीन है कि भारत एक दशक के भीतर इसे एक डालर प्रति किलोग्राम से नीचे लाने का आक्रामक लक्ष्य हासिल कर सकता है।

Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *