गुलाम नबी आजाद बोले- चुनाव से पहले जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा मिलने की उम्मीद
नई दिल्ली, पीटीआइ। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने रविवार को उम्मीद जताई कि केंद्र सरकार चुनाव से पहले जम्मू-कश्मीर का दर्जा बहाल करने की राज्य की मुख्यधारा के राजनीतिक दलों की मांग को खारिज नहीं करेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मुलाकात करने वाले जम्मू-कश्मीर के 14 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा रहे आजाद ने कहा कि वार्ता प्रक्रिया केवल एक शुरुआत थी। अब केंद्र को राज्यवासियों में भरोसे की भावना कायम करनी होगी।
सभी नेताओं ने खुलकर बात की
पूर्व मुख्यमंत्री आजाद ने एक साक्षात्कार में कहा कि पीएम से मुलाकात में सभी को खुलकर बोलने के लिए कहा गया था। मुझे लगता है कि सभी नेताओं ने बहुत खुलकर बात की। महत्वपूर्ण बात यह है कि किसी के प्रति कोई दुर्भावना नहीं थी।
राज्य का दर्जा बहाल हो
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आजाद ने कहा कि उन्होंने बैठक में स्पष्ट कर दिया था कि जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा स्वीकार्य नहीं है। इसके लिए सभी नेताओं ने समर्थन दिया। आजाद के अलावा, तीन अन्य पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती भी बहुदलीय प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे।
अब बदल गई हैं चीजें
यह पूछे जाने पर कि इसकी क्या संभावना है कि केंद्र राज्य की पहली मांग पर सहमत होगा, आजाद ने कहा कि मुझे लगता है कि चीजें अब बदल गई हैं। इस बैठक ने चिंताओं और मुद्दों को समझने का एक बड़ा अवसर दिया है। मुझे लगता है कि जिस तरह से प्रधानमंत्री ने कहा कि अतीत को भूल जाओ और हमें शांति लानी है और दिल्ली और जम्मू-कश्मीर के बीच विश्वास के नए पुलों का निर्माण करना है, यह बहुत महत्वपूर्ण है।
जम्मू-कश्मीर में खत्म हो दमन का दौर : महबूबा
वहीं पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने रविवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जम्मू-कश्मीर के मुख्यधारा के नेतृत्व के साथ शुरू की गई वार्ता प्रक्रिया को विश्वसनीय बनाने के लिए केंद्र शासित प्रदेश में उत्पीड़न और दमन का दौर खत्म किया जाना चाहिए। सरकार को ध्यान रखना चाहिए कि असहमति की आवाज कोई आपराधिक कृत्य नहीं है।
पहले चैन से सांस लेने का अधिकार दें
राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि यहां के लोगों को पहले चैन से सांस लेने का अधिकार दें और आराम तो बाद में देखा जाएगा। गुरुवार को जम्मू-कश्मीर के 14 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के साथ प्रधानमंत्री की बैठक को उन्होंने पीड़ाओं को समाप्त करने की दिशा में एक तरीका बताया। उन्होंने स्पष्ट किया कि बातचीत की प्रक्रिया को विश्वसनीय बनाने की जिम्मेदारी केंद्र की है। उसे विश्वास बहाली के उपाय शुरू करने चाहिए।
दिलों की दूरी घटना चाहिए
एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि यहां के लोगों में दिलों की दूरी घटना चाहिए। हाल के दिनों में राज्य में जो कड़े कानून लागू किए गए हैं उन्हें वापस लेना चाहिए। युवाओं के लिए रोजगार का इंतजाम करने के साथ लोगों के भूमि संबंधी अधिकारों की रक्षा करनी होगी।