23 April, 2025 (Wednesday)

सरकार ने निजी चैनलों को संयम बरतने तथा नियमों को मानने की सलाह दी

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने निजी टेलीविजन चैनलों की यूक्रेन-रूस युद्ध और उत्तर पश्चिमी दिल्ली में हाल में हुई हिंसा की कवरेज पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए उन्हें संयम बरतने , झूठे दावों से बचने, नियमों का पालन करने और सनसनीखेज तथा निंदात्मक सुर्खियों का इस्तेमान न करने की सलाह दी है।

मंत्रालय ने शनिवार को एक विस्तृत परामर्श जारी करके निजी चैनलों से केबल टेलीविजन नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम, 1995 की धारा 20 के प्रावधानों तथा इसके तहत निर्धारित कार्यक्रम संहिता का पालन करने को कहा है।

मंत्रालय ने कहा है कि उसे पता चला है कि हाल के दिनों में कई सैटेलाइट टेलीविजन चैनलों पर घटनाओं की कवरेज अप्रमाणिक, भ्रामक, सनसनीखेज और सामाजिक रूप से अस्वीकार्य भाषा में की गयी हैं। इस दौरान माहौल को बिगाड़ने वाली तथा अश्लील टिप्पणियों का इस्तेमाल किया गया और बातों को साम्प्रदायिक रंग देने की कोशिश की गयी।परामर्श में यूक्रेन-रूस युद्ध और विशेष रूप से उत्तर-पश्चिम दिल्ली की घटनाओं का हवाला देते हुए कहा गया है कि इन चैनलों पर प्रसारित समाचार विषय वस्तु और बहस के दौरान कार्यक्रमों में संहिता का उल्लंघन देखने को मिला है।

यूक्रेन-रूस युद्ध पर रिपोर्टिंग के मामले में मंत्रालय ने पाया है कि चैनलों ने निंदात्मक सुर्खियां प्रसारित की और पत्रकारों ने निराधार तथा मनगढ़ंत दावे किए। दर्शकों को उकसाने के लिए बातों को घटा-बढाकर पेश किया गया। परामर्श में कहा गया है कि दिल्ली हिंसा के मामले में कुछ चैनलों ने भड़काऊ सुर्खियों और हिंसा के वीडियो वाले समाचार प्रसारित किए जो समुदायों के बीच सांप्रदायिक घृणा को भड़का सकते हैं तथा शांति एवं कानून-व्यवस्था की स्थिति को प्रभावित कर सकते हैं। परामर्श में यह भी कहा गया है कि चैनलों ने प्रशासन द्वारा की गई कार्रवाई को सुर्खियों द्वारा सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की।

मंत्रालय ने निजी टीवी चैनलों को असंसदीय, भड़काऊ और सामाजिक रूप से अस्वीकार्य भाषा, सांप्रदायिक भावना वाली टिप्पणियों और अपमानजनक संदर्भों के प्रसारण के खिलाफ चेतावनी दी है। उसका मानना है कि इनका दर्शकों पर नकारात्मक मनोवैज्ञानिक प्रभाव हो सकता है और इनसे सांप्रदायिक सद्भावना बिगड़ सकती है तथा बड़े पैमाने पर शांति भंग हो सकती है।

मंत्रालय ने उल्लंघन के इन मामलों का उदाहरण देते हुए चैनलों द्वारा प्रसारित इन कार्यक्रमों पर गंभीर चिंता व्यक्त की है और केबल टेलीविजन नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम, 1995 और इसके तहत नियमों के उल्लंघन पर सख्त एतराज जताया है।

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