गोरखपुर के व्यापारी खोलेंगे नकली दवा के कारोबार का राज, अधिकारियों के रडार पर आए चार व्यापारी
नकली दवा के धंधे के लंबे नेटवर्क में चार व्यापारियों के खिलाफ ठोस सबूत मिल गए हैं। औषधि प्रशासन की टीम अब इन व्यापारियों को नोटिस भेजने की तैयारी में है। इसके साथ ही ताकत का इंजेक्शन बिहार बेचने वाले व्यापारी को भी नोटिस भेजा जाएगा। अफसरों को शक है कि बिहार से वापस आया इंजेक्शन नकली हो सकता है। ट्रांसपोर्टनगर के व्यापारियों के यहां जांच में भले ही कोई नकली दवा न मिली हो लेकिन औषधि प्रशासन की टीम ने इन्हें बरी नहीं किया गया है। इनका महराजगंज का कनेक्शन भी खंगाला जा रहा है। दवाएं दूसरी जगह रखने की भी चर्चा है।
हिमाचल और उत्तराखंड की कंपनियों में अच्छे ब्रांड की सबसे ज्यादा बिकने वाली दवाओं की हूबहू नकल कर नकली दवा बनवाई गई। इस दवा को कम कीमत पर भालोटिया मार्केट के साथ ही शहर की कई दुकानों पर बेचा गया है।
सात हजार रुपये में मिलती है एक डिब्बा दवा
लीवर से जुड़ी दवा के एक पैकेट की कीमत तकरीबन सात हजार रुपये है। लखनऊ भेजी गई नकली दवा की खेप में लीवर से जुड़ी दवा के साथ ही पेशाब संबंधित दिक्कत और गैस से जुड़ी बड़ी कंपनियों की दवाएं शामिल हैं। यह सभी दवाएं बहुत महंगी हैं। यही वजह है कि आठ गत्ते में तकरीबन 16 लाख रुपये की दवाएं पैक हो गई थीं।बिना बिल का खरीदा, बिल पर बेचा
भालोटिया मार्केट के व्यापारी को दवा बेचने वाले व्यापारी ने बिना बिल पर नकली दवाएं खरीदी थीं। दवाएं सस्ती मिलीं तो उसने बिल लेना मुनासिब नहीं समझा। बाद में इन दवाओं को बिल पर भालोटिया मार्केट के व्यापारी को बेच दिया। बाद में रुपये के लेनदेन का मामला फंसा तो भालोटिया मार्केट के व्यापारी से विवाद भी हुआ। लखनऊ में औषधि प्रशासन विभाग की टीम ने नकली माल वापस करने वाले दवा व्यापारी की दुकान पर छापा मारा था। टीम ने नकली दवा की बिक्री में शामिल कारोबारियों का ब्योरा इकट्ठा किया है। गोरखपुर के अफसर लखनऊ में छापामारी करने वाली टीम के संपर्क में हैं।
कारोबारी का भाई भी फरार
अलीनगर में जिस घर से औषधि प्रशासन विभाग की टीम ने आठ लाख रुपये की दवाएं जब्त की थीं, उसका मालिक कार्रवाई की जानकारी के बाद ही छत से होते हुए भाग निकला था। टीम ने जब शिकंजा कसना शुरू किया तो व्यापारी का भाई भी गायब हो गया है। इसके अलावा धंधे में शामिल दो अन्य कारोबारी भी फरार हैं।
झोला में दवा बेचने वालों पर भी निगाह
डाक्टरों से सेटिंग कर मोनोपोली (एकाधिकार) वाली दवाएं बेचने वाले भी औषधि प्रशासन विभाग की निगाह में हैं। अफसरों को शक है कि इनमें से ज्यादातर दवाएं मानकों को पूरा नहीं करती हैं। यह कारोबारी झोले में दवाएं लेकर दुकानों पर सीधे पहुंचाते हैं। इनमें से ज्यादातर बिल भी नहीं देते हैं। इन दवाओं के बदले पर्चा लिखने वाले डाक्टर को तगड़ा कमीशन मिलता है। चूंकि डाक्टर खुद दवा लिख रहे हैं इसलिए मरीज को इन दवाओं पर पूरा भरोसा रहता है। यह अलग बात है कि वह यदि दूसरी जगह पर इन दवाओं की तलाश करे तो यह नहीं मिलेंगी। उस कंपनी की दवा के लिए उसे वापस उसी बाजार में जाना पड़ता है जहां के डाक्टर ने दवा लिखी थी।
लखनऊ से खरीदारी नहीं कर रहे
नकली दवा का धंधा सामने आने के बाद भालोटिया मार्केट के कई व्यापारियों ने लखनऊ से दवा मंगाना छोड़ दिया है। हर सप्ताह कई व्यापारी लखनऊ जाते थे।
जेनरिक कारोबारियों पर नजर
जेनरिक दवा बेचने वाले व्यापारियों का भी विभाग डाटा इकट्ठा कर रहा है। विभाग को कुछ ऐसे व्यापारियों का पता चला है जिनके बारे में बताया जा रहा है कि वह जेनरिक के नाम पर नकली दवाओं के धंधे में जुड़े हो सकते हैं। इनकी भी जल्द जांच की तैयारी है।
त्वचा की क्रीम भी नकली
धंधेबाजों ने हर उस दवा का नकली बनाया है जो बाजार में सबसे ज्यादा बिकती हैं। बाजार में एक नामी कंपनी की त्वचा से जुड़ी दो क्रीम भी भारी मात्रा में पहुंचाई गई है। इस क्रीम को दुकानदारों को काफी कम रेट पर बेचा गया है। कुछ महीने पहले ही यह क्रीम बाजार में निर्धारित मूल्य से भी ज्यादा कीमत पर बिकती थी।
नकली दवा से जुड़े व्यापारियों के खिलाफ साक्ष्य इकट्ठा किए जा रहे हैं। अलीनगर में बरामद दवा से जुड़ा व्यापारी अभी सामने नहीं आया है। नियमानुसार 20 दिनों तक उसका इंतजार किया जाएगा। इसके बाद आगे की कार्रवाई शुरू की जाएगी। नकली दवा का कोई भी धंधेबाज नहीं बचेगा। – जय सिंह, औषधि निरीक्षक