पंजाब में चाय बेचने को मजबूर एशियन गोल्ड मेडलिस्ट इंद्रजीत, खेल के लिए घर तक रखना पड़ा गिरवी
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के पैतृक गांव मेहराज का एशियन गोल्ड मेडलिस्ट इंद्रजीत सिंह अपने पिता के साथ रामपुरा फूल में चाय बेचकर घर का खर्च चलाने को मजबूर है। इंद्रजीत पंजाब स्टेट तथा नेशनल से लेकर एशियन गोल्ड मेडलिस्ट हैं, परंतु यह मेडल उनके घर की गरीबी दूर करने में कोई काम नहीं आए।
इंद्रजीत को बचपन में पावर लिफ्टिंग का शौक पैदा हुआ और यह जुनून की हद तक पहुंच गया। उन्होंने कुछ ही समय में एशिया स्तर पर गोल्ड मेडल तक जीत लिया। वर्ष 2018 में दक्षिण अफ्रीका में आयोजित वर्ल्ड चैंपियनशिप में भी हिस्सा लिया था। इंद्रजीत ने बताया कि गरीबी के कारण वह स्कूल में रेगुलर पढ़ाई नहीं कर सके। उन्होंने उसने ओपन माध्यम से बारहवीं की शिक्षा हासिल की। इंद्रजीत सिंह ने 2011 में खेलना शुरू किया था। वर्ष 2013 में उन्होंने स्टेट लेवल पर पहला गोल्ड मेडल जीता।
नेशनल लेवल पर भी चार गोल्ड मेडल हासिल किए और दो बार नेशनल रिकार्ड बनाया। 2018 में राजस्थान के उदयपुर में हुई एशियन पावर लिफ्टिंग चैंपियनशिप में उसने चीन के खिलाड़ी को पछाड़कर गोल्ड मेडल जीता। मेडल सेरेमनी में जब राष्ट्रगान की धुन बज रही थी तो उन्हें बेहद गर्व महसूस हो रहा था। अफसोस यह तमाम उपलब्धियां उनके काम नहीं आई हैं। खेलों के लिए उन्होंने अपना घर तक गिरवी रख दिया। इंद्रजीत सिंह को इतने मेडल जीतने के बाद भी सरकारी नौकरी नहीं मिली और घर चलाने के लिए रामपुरा फूल में पिता के साथ चाय बेचनी पड़ रही है। इंद्रजीत ने बताया कि नौकरी के लिए वह विधायक व कैबिनेट मंत्री गुरप्रीत सिंह कांगड़ से भी करीब 20 बार मिल चुके हैं। वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल और कैबिनेट मंत्री रजिया सुल्ताना से भी नौकरी की गुहार लगा चुके हैं। नौकरी के लिए मुख्यमंत्री हाउस में भी अर्जी दी हुई है, लेकिन अभी तक कहीं सुनवाई नहीं हुई।
एशिया विजेता बनने पर उम्मीद थी कि दिन बहुरेंगे इंद्रजीत के पिता बलवंत सिंह ने बताया कि तीन बेटों में से दो बेटे पावर लिफ्टिंग ही करते हैं। इंद्रजीत से बड़ा बेटा हरदीप भी पावर लिफ्टिंग में नेशनल स्तर तक खेल चुका है। घर के हालात दोनों बेटों के खेलने के अनुकूल नहीं थे, इसलिए इंद्रजीत के खेल को जारी रखने के लिए बड़े बेटे हरदीप ने खेलना छोड़ दिया। इंद्रजीत जब एशियन विजेता बने तो उम्मीद थी कि अब परिवार के दिन बहुरेंगे। लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हुआ।