01 November, 2024 (Friday)

महंगे पेट्रोल-डीजल से उपभोक्ताओं के दूसरे निजी खर्चों में होगी कटौती, इससे बचने के लिए उत्पाद शुल्क में कमी करे सरकार

पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी जारी रहने पर अन्य सेक्टर के लिए उपभोक्ताओं के निजी खर्च में कमी आ सकती है। एसबीआइ इकोरैप ने यह चेतावनी जारी की है। इससे बचने के लिए संस्था ने पेट्रोल-डीजल पर लगने वाले उत्पाद शुल्क में कटौती कर इनकी कीमत घटाने की सलाह सरकार को दी है। अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए निजी खर्च में बढ़ोतरी जरूरी है। सरकार की तरफ से भी निजी खपत बढ़ाने की कवायद हो रही है, ताकि मांग में जारी बढ़ोतरी आगे भी कायम रहे।

अभी एक लीटर पेट्रोल की बिक्री होने पर उत्पाद शुल्क के रूप में केंद्र सरकार को 32.98 रुपये मिलते हैं। वहीं एक लीटर डीजल की बिक्री पर केंद्र को 31.83 रुपये मिलते हैं। राज्य सरकार वैट के रूप में अपना टैक्स अलग से वसूलती है। शनिवार को दिल्ली में पेट्रोल की खुदरा कीमत 85.70 रुपये प्रति लीटर तो डीजल की कीमत 75.88 रुपये प्रति लीटर पर पहुंच गई। वहीं मुंबई में पेट्रोल की कीमत 92.28 रुपए प्रति लीटर के स्तर पर पहुंच गई है।

एसबीआई इकोरैप की रिपोर्ट में कहा गया है कि गत दिसंबर में उपभोक्ताओं के कुल खर्च में ईधन की हिस्सेदारी बढ़ी है। इसके चलते गैर-विवेकाधीन खर्च में 65 फीसद की बढ़ोतरी हो गई। इसका नतीजा यह हुआ कि गत दिसंबर में स्वास्थ्य, किराना व अन्य उपभोग से जुड़े खर्च में कमी आ गई।

रिपोर्ट में कहा गया है कि यह चिंता का विषय है और सरकार को उत्पाद शुल्क में कटौती के जरिये तत्काल रूप से तेल की कीमत कम करने की जरूरत है। ऐसा नहीं करने पर गैर-विवेकाधीन खर्च में बढ़ोतरी होती रहेगी और जरूरी खर्च प्रभावित होता रहेगा। रिपोर्ट के मुताबिक तेल के दाम में बढ़ोतरी जारी रहने से महंगाई दर में भी तेजी आएगी। विशेषज्ञों का कहना है कि अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से पटरी पर लाने के लिए महंगाई दर को काबू में रखते हुए खर्च में बढ़ोतरी जरूरी है।

Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *