डिजिटल युग में बच्चों में भावनात्मक लगाव में आई कमी : प्रो धनंजय जोशी
दिल्ली शिक्षक विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो धनंजय जोशी ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान बच्चों की शिक्षा बहुत प्रभावित होने के साथ साथ अकेलापन बढ़ा है वहीं बच्चों का अभिभावकों के प्रति भावनात्मक लगाव में कमी आयी है।
श्री जोशी ने श्वेता दुबे की पुस्तक ‘पेरेंटिंग इन डिजिटल एरा’ पुस्तक का विमोचन करते हुए कहा कि एक तरफ विकास के साथ साथ साथ तकनीक में तेजी के साथ बढोत्तरी हुई है वहीं इसके विपरीत परिवार और समाज के बीच जो अपनत्व का भाव था उसमें कमी आई है। कोरोना महामारी के दौरान ने बच्चों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। एक तरफ जहां उनकी शिक्षा प्रभावित हुई है वहीं दूसरी तरफ उनके मानसिक संवेदना में भी बदलाव आया है और अभिभावकों के साथ बच्चों का जो लगाव और जुड़ाव होता था उसमें कमी महसूस की गयी है।
उन्होंने कहा, “ कोराना महामारी की त्रासदी में अभिभावकों ने जिस प्रकार की चुनौतियों की सामना किया है उसके समाधान में यह पुस्तक अवश्य ही मददगार साबित होगी। पेरेंटिंग भारत की संस्कृति में है। यदि हम भारत की संस्कृति का अनुसरण करें तो अच्छा पेरेंटिंग सीख सकते हैं। ”
जामिया मिलिया इस्लामिया के मुख्य प्राक्टर प्रो वसीम अहमद खान ने वी एल मीडिया साॅल्यूशंस द्वारा प्रकाशित पुस्तक पेरेंटिंग इन डिजिटल एरा के लोकार्पण कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डिजिटल युग और पेरेंटिंग में आने वाली नई चुनौतियों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी ने शिक्षा व्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचाया है और इससे सबसे अधिक नुकसान छात्रों को हुआ है। वर्तमान समय में तमाम तरह की वैश्विक चुनौतियों के साथ अभिभावकों को अपने बच्चों की शिक्षा को लेकर काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा है। शिक्षा में गिरावट की वजह से आतंकवाद, सांप्रदायिकता जैसी चुनौतियां लगातार बढ रही है और इसका नुकसान लोगों को हो रहा है।
पुस्तक की लेखिका श्वेता दुबे ने कहा कि पेरेंटिंग एक कला है जो कि नारी को जन्मजात मिलती है। इस डिजिटल युग में अभिभावकों को किस प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है , उसके समाधान की कोशिश की गयी है।
कार्यक्रम की शुरुआत आयोजक नित्यानंद तिवारी ने अपने संबोधन से किया और संचालन डॉ राजीव रंजन द्विवेदी ने किया। कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रूप में नीदरलैंड के गायक राज मोहन एवं सफदरजंग अस्पताल के डॉ अरुण पाण्डेय शामिल हुए।